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गुरुवार, 17 मई 2012

रच्चू की चुदाई वड़ोदरा में

 दोस्तों मेरा नाम मोनू है...मैं शादी शूदा हूँ...और वड़ोदरा में रहता हूँ...लेकिन मेरी बीबी कई सालों से मुझसे अलग रहती है...हमारे बीच डिवोर्स का केस चल रहा है...अकेले रहते-रहते कई साल हो गए हैं...दिन तो कट जाता था लेकिन रात काटना थोडा मुश्किल होता था...मैंने एक मेट्रीमोनियल साईट पर अपना प्रोफाइल बनाया...और मुझे बहुत सारे प्रोफाइल आये पर एक दिन एक ऐसी लड़की का प्रोफाइल आया उसका भी डिवोर्स केस चल रहा था...वो दिल्ली के पास अकेले एक हॉस्टल में रहती थी...एक कंपनी में काम भी करती थी...दोस्तों उसकी फोटो देख कर मैं उस पर फ़िदा हो गया...जितनी सिम्पल दिखती थी...उतना ही मस्त फिगर था...मैंने प्यार से उसका नाम रच्चू रखा था...बहुत दिनों तक हम एक दूसरे को मेल करते रहे...फिर एक दिन उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और उसके बाद हमारे बीच बातों का सिलसिला शुरु हो गया...पहले तो 10 -15 दिन में कभी-कभी थोड़ी सी ही बाते होती थी...लेकिन बाद में लगभग हर रोज रात को आधा घंटा... कभी-कभी घंटो तक बातो का सिलसिला चलने लगा...वैसे तो हमें एक दूसरे को जानते हुए 3-4 साल हो चुके थे...लेकिन हम कभी मिले नहीं थे हाँ एक दूसरे का फोटो जरुर देखा था...ये सब एक दिन अचानक ही हो गया ...बात जनवरी 2010  के दिनों की है...रात को बात करते-करते मैंने अचानक मिलने की जिद की तो पहले तो वो तैयार नहीं हुई...लेकिन बाद में मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गयी...मैंने दिल्ली से वड़ोदरा की आने-जाने की 3एसी की टिकट कराके उसके पास भेज दिया...फिर उसने मुझे फ़ोन किया की...मैं ट्रेन में बैठ गयी हूँ...तुम मुझे स्टेशन लेने आ जाना...ये सुनकर मैं बहुत खुश हुआ...दोस्तों यकीन मनो मुझे उस रात नींद नहीं आई और सारी रात करवटें लेकर गुजारी और सुबह होते ही वड़ोदरा स्टेशन भागा उसको लेने के लिए...जैसे ही वो ट्रेन से उतरी मुझे देख कर शर्मा गयी...मैंने भी मौका देखकर चूकना अच्छा नहीं समझा और उसको तुरंत गले से लगा कर स्वागत किया...गले लगने के बाद उसकी शर्माहट थोड़ी कम हुई...खैर वहां से मैं उसे अपनी मोटरसाइकल पर बैठा कर घर ले आया...मैंने रास्ते में ही उसके छोटे-छोटे और एकदम कसे हुए उभारों को महसूस कर लिया था...घर पहुच कर मैंने उसे कहा...की तुम नहाकर फ्रेश हो जाओ...क्यूंकि सफ़र से थक गयी होगी...मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाता हूँ...थोड़ी देर बाद जब वो नहा कर निकली तो क्या क़यामत लग रही थी...उसके ब्लाउज में उसकी जवानी समां नहीं पा रही थी...ऐसा लग रहा था की बस उसकी दोनों चूचियां  ब्लाउज के बटन तोड़ कर बाहर आ जाएँगी...उनके बीच की घाटियाँ तो ऐसे लग रही थी की बस अभी उसमे डूब जाऊं...वो भी भांप गयी और साडी के पल्लू से ढकते हुए मेरे बगल में आ कर बैठ गयी और चाय पीने लगी... चाय पीते पीते हम थोड़ी इधर-उधर की बातें करने लगे...चाय पीने के बाद वो खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने लगी...मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया...उसे खिड़की के बाहर के नज़ारे के बारे में बताने लगा...इसी दौरान मैं पीछे से उससे चिपक कर खड़ा हो गया...उसकी कमर में हाथ डाल कर उसकी पीठ पर किस्स किया... फिर उसके गले में किस्स किया...मैंने अपने होंठ उसके गलों की तरफ से उसके होंठों की तरफ ले जाने की कोशिश की लेकिन वो हट गयी...तो मुझे लगा शायद मैंने जरा जल्दबाजी कर दी...फिर मैं जाकर बेड पर बैठ गया...थोड़ी देर बाद वो भी अन्दर आ गयी...और मेरे पैरों के पास बैठ कर अपना सर मेरी गोद में रख दिया... और आँखें बंद कर ली...तो मेरी हिम्मत एक बार फिर बढ़ी...मैंने इस बार उसके गालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया...जैसे ही मैंने उसके होठों को चूमा वो तड़प उठी...मेरे होठों को जोर-जोर से चूसने लगी जैसे बहुत प्यासी हो...मैंने भी उसके होठों को चूसते हुए उसको निचे से ऊपर उठाया और फिर बेड पर लिटा दिया...उसके बाद होठों को चुमते हुए एक हाथ से उसकी ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाने लगा...तो वो जोर-जोर से सिसकियाँ लेने लगी...उसके हाथ मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को जोर-जोर से दबाने लगे...धीरे-धीरे मैंने उसकी ब्लाउज के बटन खोल दिए...उसकी ब्रा भी उतार दी...उसकी छोटी-छोटी  एक दम कसी हुई चूचियां, छोटे-छोटे संतरों की तरह लग रही थी...मैंने एक चूची को मुह में लिया...दूसरे को एक हाथ से जोर-जोर से दबाने लगा...अब उसकी सिसकियाँ और भी तेज़ हो गयी...उसने मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया...उसको अपने हाथ से जोर-जोर से मसलने लगी...अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था...सो मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए और एक दम नंगा हो गया...फिर मैंने उसकी साडी पेटीकोट और पेंटी  उतार दी...उसके  दोनों  पैर फैला कर उसकी चूत चाटने लगा...लेकिन शादी शुदा होने के बावजूद भी उसकी चूत एकदम कसी हुई और गुलाबी रंग की थी...शायद आने से पहले ही उसने अपनी झांटें साफ़ की थी...इसलिए उसकी चूत एकदम चमक रही थी...जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली वो जोर जोर से सिस्कारियां लेने लगी...जोर-जोर से अपनी चूत को उछाल-उछाल कर मेरे मुह पे धक्के देने लगी...कुछ देर में ही उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा...फिर वो उठी...और मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करने लगी...और जोर-जोर से चूसने लगी...दोस्तों क्या बताऊँ लंड चुसवाने में इतना मज़ा आता है...मुझे पता नहीं था...मेरी बीबी ने आजतक कभी नहीं चूसा था...खैर जो भी हो...उस वक़्त मेरे लंड को उसके मुंह की गर्माहट परमानन्द दे रही थी...थोड़ी देर में ही मुझे लगा की...जैसे मेरा लंडरूपी ज्वालामुखी लावा उगलने को तैयार था...मैंने अपने लंड को उसके मुंह से निकालने की कोशिश की...लेकिन उसने इतने जोर से पकड़ कर चुसना शुरू कर दिया की...जैसे वो उसी का इंतज़ार कर रही हो...थोड़ी देर में मेरे लंड की गर्माहट मुझे लंड के बाहर भी महसूस होने लगी...मेरा सारा पानी उसके मुंह में ही निकल गया...वो भी सारा पानी पी गयी... और कहने लगी...आज बहुत दिनों के बाद मुझे किसी के प्यार को महसूस करने का मौका मिला है...अब प्लीज़ तुम मेरी आग को शांत करो...ये कहते हुए उसने मेरे लंड को फिर से जोर-जोर से दबाना शुरु कर दिया...फिर मुह में लेकर दोबारा चूसने लगी...जल्दी ही मेरा लंड भी उसकी चूत की गुलाबी दीवारों से होता हुआ उसकी गहराई को नापने के लिया फडफडाने लगा...मैंने उसे बेड की किनारे तक खिंचा और फिर उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पे रख कर उसकी चूत को अपने लंड के सामने ला कर अपना लंड उसपे रगड़ने लगा...वो जोर से सिसकियाँ लेने लगी... और कहने लगी मन प्लीज़ अब और बर्दास्त नहीं हो रहा मुझसे प्लीज़ मन जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे जोर जोर से चोद दो....और मैंने उसकी चूत के छेद पे अपना लंड का सुपाडा रख कर एक जोर का झटका दिया और आधा लंड उसकी चूत की गुलाबी दीवारों के बीच से अपना रास्ता बनता  हुआ उसकी चूत की गहराइयों को नापता हुआ आधी दूरी तय कर गया था....लेकिन वो बहुत जोर  से चिल्लाई क्यूंकि 7 - 8 साल से वो अपने पति से अलग रह रही थी और इस बीच शायद उसने  सेक्स नहीं किया था इसी वजह से शायद उससे मेरे मोटे लंड की चुदाई बर्दास्त नहीं हुई .....लेकिन आधा लंड घुसाने  के बाद मैं रुक  गया और उसके होंठों को चूसने लगा और उसकी चुचियों को दबाने लगा तो उसको थोड़ी राहत महसूस हुई और इसी वक़्त मैंने एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी गुलाबी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर समां गया और उसके बाद रच्चू  को भी मज़ा आने लगा और धीरे धीरे उसने हरकत करनी  शुरु कर दी और अपने चूतडों को  उठा उठा कर चुदाई का मज़ा लेने लगी और कहने लगी मन डार्लिंग मुझे और जोर से चोदो ....हाँ मन प्लीज़ मुझे आज इतना चोदो की मेरी इतने दिनों की प्यास बुझ जाये...इसी बीच में उसने कई बार अपना पानी छोड़ दिया ...और लगभग आधा घंटे की चुदाई के बाद मुझे लगा की मेरे लंड का लावा निकलने वाला है मैंने कहा "रच्चू मेरा निकलने वाला है " तो उसने तुरंत उठ कर मेरे लंड को मुंह में लेकर पहले मुठ मरने लगी और फिर जोर जोर से चूसने लगी और कुछ ही देर में मेरा सारा मॉल निकल गया जिसे उसने बड़े प्यार से चाट लिया .............और उसके बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे......और फिर पता नहीं कब हमारी आँख लग गयी और हम सो गए......
और लगभग एक घंटे के बाद  मुझे मेरे लंड के पास गर्मी महसूस हुई  तो नींद खुल गयी मैंने देखा की रच्चू डार्लिंग मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी...मुझे कुछ मीठी मीठी खुशबू भी आ रही थी तो मैंने पूछा ये किस चीज़ की खुशबू आ रही है तो रच्चू ने बताया की किचन में थोडा शहद पड़ा था बस उसे ही तुम्हारे लंड पर लगा कर चूस रही हूँ.....अब तक मेरा लंड भी पूरी तरह तैयार हो चूका था लेकिन मैं इस बार उसकी चूत नहीं चोदना चाहता था असल में मैंने आज तक कभी किसी की गांड नहीं मरी थी सिर्फ ब्लू फिल्मों में ही गांड की चुदाई  देखा था  और सिर्फ अपने दोस्तों से ही सुना था की गांड मारने में बहुत मज़ा आता है लेकिन आज तक मैं इस ख़ुशी से वंचित था.....तो मैंने मौका देख कर रच्चू से बोला की " रच्चू डार्लिंग क्या तुम मुझे एक बार अपनी गांड चोदने का मौका दोगी " ये सुनकर पहले तो रच्चू के चेहरे का रंग ही उड़ गया बोली " देखो मन डार्लिंग आज करीब पांच सात सालों के बाद मेरी चूत ने किसी के लंड का दर्शन किया है और तुम्हारे इस मोटे लंड ने तो मेरी चूत की चूदाई में ही मेरी जान ही  निकाल दी है ....और मैंने आजतक कभी भी गांड नहीं मरवाई है...
इसलिए मुझे डर लग रहा है और बहुत दर्द भी होगा " उसकी ये बात सुनकर मैंने बोला  की रच्चू डार्लिंग तुम चिंता मत करो मैं एक दम आराम से  गांड मारूंगा और अगर तुम्हे बर्दास्त नहीं होगा तो नहीं चोदुंगा " इस बात पर वो तैयार हो गयी.....और डोगी स्टाइल में मेरे आगे झुक गयी...मैंने भी अपने खड़े लंड के सुपाडे को रच्चू की गांड  के छेद पर रख कर अन्दर डालने की कोशिश की लेकिन गांड का छेद बहुत टाईट था और पहला प्रयास बेकार हो गया ....उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों के अंगूठे को गांड के छेद के पास लगा कर छेद को थोडा फैला दिया और उसके बाद अपने लंड के सुपाडे को  गांड के छेद में डाल कर चुपचाप शांत हो गया और धीरे धीरे उसको गांड के छेद में  फिट करने लगा और जब लंड का सुपाडा पूरी तरह से गांड के छेद में फिट हो गया तो  धीरे धीरे लंड को गांड में घुसाने को कोशिश करने लगा लेकिन छेद बहुत  छोटा और टाईट था इसलिए लंड एकदम आगे नहीं जा रहा था और रच्चू डार्लिंग को दर्द हो रहा था तो वो चिल्लाने लगी....तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया .......
लेकिन तभी मेरी नज़र बगल में रखी  शहद की शीशी की तरफ गयी जिसको मेरे लंड पर लगा कर उसने चूसने का मज़ा लिया था...और मेरे दिमाग में  आईडिया आया और मैंने उसको दोबारा से डोगी बनने को कहा और शहद लेकर उँगलियों से उसकी गांड के छेद के अन्दर अच्छे से लगा दिया और फिर ढेर सारा शहद लेकर उसकी गांड के छेद पर गिरा दिया और फिर उँगलियों से गांड के छेद को थोडा फैला कर शहद को अन्दर तक अच्छे से लगा दिया और अब धीरे धीरे दो उँगलियाँ डाल कर गांड के छेद को थोडा सा खोल  दिया  उसके बाद दोबारा लंड के सुपाडे को गांड के छेद में धीरे से सरका दिया और दोनों हाथों से उसके दोनों चूतडों को दोनों तरफ खीच दिया जिससे गांड का छेद थोडा और खुल गया उसके बाद बहुत धीरे  से लंड को उसकी गांड में थोडा सा अन्दर की तरफ धकेल दिया लेकिन रच्चू को दर्द हुआ तो उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और पीछे  हटने लगी....
और मुझे लगा  की अगर अब वो पीछे हट गयी तो मुझे दोबारा गांड को छूने भी नहीं देगी इसलिए मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथो से जोर से पकड़ लिया और  पूरी ताक़त से एक झटका मारा और मेरी हिम्मत ने भी मेरा साथ दिया लंड उसकी गांड को फाड़ता हुआ आधा अन्दर घूस गया लेकिन रच्चू इतने जोर से चिल्लाई की जैसे उसकी जान ही नक़ल गयी हो इसलिए मैंने उसके बाद कोई भी हलचल किया बिना एकदम शांति से वैसे ही खड़ा रहा लेकिन मैंने अपने लंड को भी उसके जगह पे बनाए रखा उसकी कमर को नहीं छोड़ा  नहीं तो जितनी जोर से उसने मुझसे अलग होने की कोशिश की थी शायद मेरा लंड बाहर आ जाता और मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाती......लेकिन थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की अब वो रिलेक्स  हो गयी है तो पूरी ताक़त से मैंने दूसरा झटका दिया और इस बार मेरा सपना सच हो गया मेरा पूरा लंड उसकी मस्त गांड के अन्दर आराम फरमा रहा था........अब तो उसे भी मज़ा आने लगा था जिसके इशारा उसने अपनी गांड को आगे पीछे हिला के किया .....उसके बाद मैंने अपने लंड को थोडा सा बाहर निकला और फिर धीरे धीरे अन्दर को धकेला .....उसके बाद रच्चू ने बोला " मन डार्लिंग प्लीज़ जोर जोर से चोदो न .........आज मेरी गांड को भी चोद चोद के शांत कर दो..... ....और जोर से झटके मरो न ..........."
और मैं भी पूरे तन मन से उसकी गांड की चुदाई में लगा हुआ था लगभग  आधे घंटे की चुदाई के बाद मेरे लंड से दुबारा लावा फूटने को था सो मैंने कहा की मेरा निकलने वाला है तो उसने कहा की जल्दी से अपना लंड निकाल कर मेरे मुह में डाल दो लेकिन जैसे ही मैंने उसकी गांड से अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुह के तरफ ले जाने लगा तभी सारा माल निकल गया और उसकी चूचियों पर गिर गया .....बाद में उसने तौलिये से साफ किया और मेरे लंड की भी सफाई की .....उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जा कर एक साथ नहाया और फिर  रात का खाना बाहर एक होटल में  खाया और फिर आकर सो गए .................रच्चू दो दिन तक वड़ोदरा में मेरे साथ रुकी  मैंने उसे वड़ोदरा शहर घुमाया और इस दौरान हमने  कई बार सेक्स किया और दो दिन के बाद मैंने उसको वापस वड़ोदरा स्टेशन से दिल्ली की ट्रेन में बिठा दिया....जाते वक़्त उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट थी जिसमे  संतुष्टि  भी झलक रही थी.......