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रविवार, 12 फ़रवरी 2012

जीजी की चुदाई


सबसे पहले तो मैं गुरूजी को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने उदास और वीरान जीवन में अन्तर्वासना की रंगीनियाँ भरने का मौका दिया। मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ। कुछ कहानियां तो अच्छी होती हैं पर कुछ तो बिल्कुल ही बकवास होती हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ समय की बर्बादी ही कहा जा सकता है। खैर जो भी हो, सब च

लता है….
मैं अपना परिचय करवा दूँ ! मेरा नाम कुमार है, उम्र अभी २६ साल है। वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की वजह से अभी दिल्ली में हूँ। मैं साधारण कद काठी का हूँ पर बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे आकार में है । बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा।
मैं जो कहानी आपसे बाँटने जा रहा हूँ वो सच्ची है या झूठी, यह आप ही तय करना।
बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी। उस वक़्त मेरी उम्र २१ थी। मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था। मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे। माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है। इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे। हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से कर लेते थे, चाहे वो किसी भी विषय में हो।
मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था। पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे।
हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे। मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं। मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था। उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते थे।
सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया। हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे। डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है। हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे। जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा। उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर जाने के लिए कहा। पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और अनीता दीदी मान गए, अनीता मेरी मुँहबोली बहन का नाम था।
हम तीनों लोग घर वापस आ गए। रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया। वहां सब कुछ ठीक था। मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला। उन लोगों ने बताया कि पापा की शूगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी। बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी। मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें। माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया। जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए।
जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं। हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए। माँ ने मुझसे घर जाने को कहा। मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया। मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लग। तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई। मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त राम की किताबों का बहुत शौक है। मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा।
घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी अनीता दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी। मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया। सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी। मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा। बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया। हम दोनों भाई बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में। इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है। उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई। मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया। मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई।
रात के करीब ११ बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो !
मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहां अनीता दीदी भी बैठी थी। असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था। मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया। हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे।
हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू । काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई। मुझे वहां पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था। सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से। खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा।
थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई,” नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं ?”
“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया !” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी।
मैंने कहा,” लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरुरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है।”
उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना।
मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा। काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया।
रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा। जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी। नेहा का कमरा हॉल के पास ही है। मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं।
जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी। गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थी। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए।
अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी,” हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी !”
“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं ?”
“हाँ, मुझे तो बहुत मज़ा आता है। लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है। और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं।”
“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी।”
“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से ?”
“अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो।”
“पर मुझे बता तो सही !”
“लगता है तुम नहीं मानोगी !”
“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न। चल जल्दी से बता !”
“तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी !”
“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताउंगी।”
“ये किताबें सोनू लेकर आता है।’
” हे भगवान् ..” अनीता दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई,” तू सच कह रही है ? सोनू लेकर आता है ?”
नेहा उनकी शकल देख रही थी,”तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी ?”
अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा,” यार, मैं तो सोनू को बिलकुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है।”
” इसमें कौन सी बुराइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है, उसका भी मन करता होगा !”
” हाँ यह तो सही बात है !” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा,” लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है, फिर तुम लोग क्या करते हो ? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो…….??”
अनीता दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों।
इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई। मैंने अब हौले से अन्दर झांका और उन्हें देखने लगा। वो दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर एक साथ किताब को देख रही थीं।
तभी दीदी ने फिर पूछा,” बोल न नेहा, क्या करते हो तुम दोनों ?” अनीता दीदी ने नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला।
” ऊंह, दीदी….क्या कर रही हो ? दर्द होता है..” नेहा ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और अनीता दीदी की तरफ देख कर मुस्कारने लगी।
अनीता दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था…. नेहा ने उनकी तरफ देखा और कहा,” आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी। हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों, पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है। हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक भा बहन का होता है।”
यह सच भी है, हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी। खैर, अनीता दीदी ने नेहा के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा,” मैं जानती हूँ नेहा, तुम दोनों कभी भी ऐसी हरकत नहीं करोगे।”
“अच्छा नेहा एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तुझे मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ करे और तेरी चूत को चोद-चोद कर शांत करे, उसकी गर्मी निकाले ?” अनीता दीदी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं देखा था। उनकी आँखे लाल हो गई थीं।
“हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ। ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ !”
“फिर क्या करती हो तुम ?”
नेहा ने एक गहरी सांस ली और कहा,” बस दीदी, कभी कभी ऊँगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ !”
दीदी ने नेहा को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया। नेहा को भी अच्छा लगा। दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया।
यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था। मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू कर दी।
तभी अचानक मैंने देखा कि अनीता दीदी ने नेहा की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिस्कारियां निकल रही थी।
“ऊफ दीदी….मुझे कुछ हो रहा है……आपकी उँगलियों में तो जादू है।”
फिर अनीता दीदी ने पूछा,” अच्छा नेहा एक बात बता, तूने कभी किसी लण्ड से अपनी चूत की चुदाई करवाई है क्या ?”
“नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है। आगे भगवान् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की किस्मत में।” नेहा अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी,” दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ…. बताओ न दीदी कैसा मज़ा आता है जब सचमुच का लण्ड अन्दर जाता है तो ….?”
“यह तो तुझे खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी…. इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है…”
“हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मज़ा आता है इस चूत की चुदाई में …. तुमने तो बहुत मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?”
तभी अनीता दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और नेहा की तरफ देख कर कहा,”अब तुझे क्या बताऊँ, तेरे जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे । मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे। जब भी मन किया मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल देते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे।”
“क्या अब नहीं करते ?” नेहा ने पूछा।
“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ। आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस १० मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं।”
यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका। मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था। अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी। मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा….। ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया।
अनीता दीदी को उदास देख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा,” उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे।”
दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा,” मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल !”
“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ ?”
“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मज़ा लेते हैं….” नेहा थोड़ा सा मुस्कुराई और अनीता दीदी को चूम लिया।
अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई। दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी। नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ। नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट।
हे भगवान् ! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर २६ से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया। उनकी गांड का साइज़ ३६-३७ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…..
हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था।
इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी। उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था। 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे।
“हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं। अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती।”
“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”
“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ !” अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया।
मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे। अनीता दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा….
खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पैंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी। दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो।
नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पैंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया।
संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया……..
मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया…….मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी । शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था। बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा। मैं पहचान गया। यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी।
थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी। शायद जोर से बंद किया गया था। मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं। लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था। खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था। मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका …….
दोस्तों, अब मैं ये कहानी यहीं रोक रहा हूँ। मुझे पता है आपको बहुत गुस्सा आएगा, कुछ खड़े लण्ड खड़े ही रह जायेंगे और कुछ गीली चूत गीली ही रह जायेगी। पर यकीन मानिये अभी तो इस कहानी की बस शुरुआत हुई है। अगर मुझे आप लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैं इस कहानी को आगे भी लिखुंगा और सबके सामने लेकर आऊंगा।
वैसे भी यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर, तो मुझे यह भी देखना है कि मेरी कहानी छपती भी है या नहीं और लोगो को कितनी पसंद आती है। मुझे इन्तज़ार रहेगा आपके जवाब का। अगर आपको लगे कि यह कहानी आगे बढ़े तो मुझे अपने विचार भेजें।

मैं और मेरी गर्लफ्रेंड


मै एक विद्यार्थी हूँ कक्षा 12 का और यह कहानी सोनू नाम की लड़की की है जो मेरी ही कक्षा में पढ़ती थी| कुछ महीने पहले मेरी दोस्ती सोनू नाम की लड़की से हुई वो मेरे साथ मेरी ही कक्षा में पढ़ती थी| दिन पर दिन हम एक दूसरे से ज्यादा बाते करने लगे और जब भी समय मिलता तो हम दोनों एक दूसरे से मिल लिया करते थे| हर दिन हमारी दोस्ती कुछ नया ही मोड़ लेने लगी थी, हम दोनो एक दूसरे को मन ही मन जैसे चाहने लगे थे पर अभी प्या का इज़हार करना बाकी था| एक दिन मोका पाते ही मैने सोनू से अपने दिल की बात बोल दी और सोनू ने भी जवाब में हाँ बोल दिया और मै बहुत खुस हो गया था| जब मेरे माँ - बाप घर से बहार चले जाते तो मै सोनू को फोन कर के अपने घर बुला लिया करता था और फिर हम दोनो मेरे घर की छत पर चले जाया करते थे और एक दूसरे से खूब बातें किया करते थे, मै अकसर बात करते- करते सोनू का हाथ पकड़ लिया करता था और उसके हाथ को धीर-धीरे सहलाया करता था जिससे सोनू के शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते और वो अंदर से गरम होने लगती थी और मैं फिर मोका देख कर सोनू के साथ रोमांस किया करता था. जब घर जाने का समय आने को होता तो, मैं उसके हाथों को चूमता और कल फिर मिलने को कहता जिस पर सोनू धीमी मुस्कान देती और फिर से मिलने आने का वादा कर के घर चली जाती|
एक दिन मेरे माता और पिता गॉव जा रहे थे क्यूंकि मेरे दादा चल बसे थे| इतनी जल्दबाजी में उन्हें मुझे घर पर अकेला ही छोड़ जाना पड़ा| मैं हमेशा ही सोनू के साथ एकेले में कुछ ज्यादा समय बिताने के उपाए सोचता रहता और आखिर किस्मत ने वो पल मेरे सामने ला ही दिया| मैंने सोनू को एक दिन स्कूल बंक करके मेरे साथ घर पर आने को कहा, इस पर पहले तो उसने कुछ नामर्जी जताई पर आखिर शरमाते हुए मान ही गयी| मैं खुस होकर सुबह – सुबह अपना घर सजाया और अपनी जानेमन का इंतज़ार करने लगा| इतने मै घर की घंटी बजी और मेरे सामने मेरी जानेमन सोनू खड़ी थी मैंने उसे घर के अंदर आने को कहा वो मुस्कुराकर घर के अंदर आई और मेरी पलंग पर बैठ गई फिर हम दोनो ने कुछ ईथर -उधर की बातें की और फिर से मैंने सोनू का हाथ पकड़ा और धीमी – धीमी मुस्कान के साथ उसके हाथों पर अपना हाथ रख सहलाता और उसे गरम करने लगा| फिर मैंने सोनू से योन सम्बंधित बाते करना शुरू कर दी. जिसपर सोनू ने पहले तो मना किया फिर कुछ देर बाद वो भी मुझे अच्छी प्रतिक्रिया देने लगी और मेरा लंड उसे देख कर और उसकी बातो को सुनकर खड़ा हो सलामी देने लगा| कुछ देर बाद हम दोनो एक दूसरे को देखने लगे और फिर मैंने सोनू को अपनी बाहों से लगा लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा सोनू पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. जब- जब मै उसकी गर्दन चूमता वो मुझे “मत करो -मत करो” कह कर शांत हो जाती और अपने लबों से गरम – गरम सिसकियाँ लेती| मैं उसकी गर्दन चूमता -चूमता उसके गलों को चूमने लगा और फिर नाजुक होठों का रस पीने लगा और अपने हाथो को उसकी चुचियों पर फेरता और चूची के सांवले निपल्लों को बारी – बारी दबाने लगता और अपने मुह को उसके दुदों पर रगड़ने लगा. अपने होठों से उसके दुदों की मालिश के बाद मै सोनू के पेट को चूमने लगा और उसकी कमर पर अपने गरम- गरम हाथ मलने लगा, सोनू तड़पने लगी और मेरे पलंग पर लेट गई और फिर मैंने सोनू के पेट की नाभि को चूमा और उसकी सलवार को उतारा और उसकी जागों पर अपना हाथ रख कर फेरने लगा और जब मैंने अपनी उंगली उसकी चुत के ऊपर रगड़नी चालू की तो उसकी चुत का पानी निकलने लगा| मैंने सोनू की चुत मै उंगली देना जैसे ही सुरु किया सोनू जोर सा चिल्लाने लगी और मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली मुझे दर्द हो रहा है मैने सोनू को समझाया और कहा पहली बार सबको दर्द होता है और फिर अपनी उँगली करने लगा सोनू ने मुझे कसके पकड़ लिया और पलंग पर रेंगने लगी और “सी -सी- सी” कर सिसकियाँ भरने लगी| अब मुझे और मेरे लंड को रुका नहीं जा रहा था मेरा लंड सोनू की चुत को देख कर बेकाबू होना शुरू हो चूका था| मैंने अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल कर झटकना शुरू कर दिया और उसकी टांगो को चीरा और कुछ करीब आकर अपने लंड को सोनू की कुंवारी चुत पर कुछ देर मसला जैसे ही सोनू की चुत का पानी बहार आने लगा तभी मैंने अपने लंड को हल्का सा धक्का लगाकर उसकी की चुत मै घुसाना शरू कर दिया. सोनू- आआआअह… आआआअह उउउमा मर गई . .रब्बा . . करके जोर -जोर से अपना सर पलंग पर मारने लगी और मै – बस कुछ और बस कुछ देर और . .जानेमन . . करते हुए सोनू को तसल्ली देने लगा सोनू की आखों मै से आंसू निकल रहे थे और मुहँ मै से दर्द भरी आवाज़ और फिर मै अपने लंड को पूरी तरह सोनू की चुत मै डालने की कोशिस करने लगा और अपनी जागों को कसकर हल्का – सा धक्का लगाया और अपना लंड सोनू की चुत मै घुसा दिया सोनू जोर से चिल्ला दी और उसकी चुत से खून निकलने लगा और मेरे पलंग की चादर को लाल कर दिया अब सोनू की चुत फट चुकी थी| मैंने फिर अपने लंड को सोनू की चुत मै आगे -पीछे करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपनी चोदने की रफ़्तार को बड़ा दिया| दूसरी तरफ सोनू का बुरा हाल हो रहा था और उसका शरीर दर्द से काँप रहा था | कुल 20-30 मिनट सोनू की चुत मारने के बाद अब मेरा लंड झड़ने वाला था| मैंने एक दम से अपने लंड को सोनू की चुत से बहार निकला और उसके पेट पर अपना मुठ गिरा दिया और फिर सोनू की बगल मै आकर उससे लिपट कर सो गया उस दिन मेरे लंड की प्यास सोनू की चुत से ही बुझी थी| जब हम दोनो सोकर उठे तो देखा हमारे सारे कपड़े खून मै सने हुए थे फिर मैंने उन कपड़ो को धो दिया और फिर सोनू के साथ रोमांस करते हुए पलंग पर बाते करने लगा| उस दिन के बाद जब भी हम दोनो को योन क्रिया करने का मन करता तो हम अपनी कॉलोनी के पास वाले होटल मै कमरा लेकर योन–क्रिया करने चले जाया करते थे|

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

चूत मम्मी की और चुदाई बेटी की


नमस्ते दोस्तों। मेरा नाम माही है। दोस्तों मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी ज़िन्दगी में तरह-तरह की लड़कियाँ आतीं हैं, या फिर यूँ कहिए किशोरियों से लेकर अधेड़ तक, हर कोई। ऐसा ही एक वाक़या आप लोगों को बता रहा हूँ। आप सोच रहे होंगे कि मेरी ज़िन्दगी में इतनी लड़कियाँ कहाँ से आतीं हैं। दोस्तों मैं एक प्लेब्वॉय हूँ, यानि कि पुरुष-वेश्या। एक बार दिन के समय मुझे एक 45 वर्षीय स्त्री ने अपने यहाँ बुलाया। मैं उसके घर चला गया। वहाँ जाकर मैंने उससे बात की। उसने मुझे 2 घंटों के लिए तय किया। वह 45 साल की थी, लेकिन देखने में बद़न से काफी अच्छी लगती थी। पहले वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई, वहाँ जाकर उसने अपने-आप को मेरे ऊपर छोड़ दिया। मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। मैडम ने जीन्स-टॉप पहन रखी थी। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी टॉप उतार दी। उसकी मोटी-मोटी हिलती हुई चूचियाँ बाहर आ गईं। मैंने उन विशाल चूचियों को दबाना चालू कर दिया। जैसे-जैसे मैं चूचियों को दबाता जाता, वह बिस्तर पर गिरती जाती। मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और सरका कर उसकी चिकनी और सेक्सी पैरों तक उतार दिया। उसकी पैन्टी के भीतर से उसकी उभरी सी चूत साफ दिखाई दे रही थी। पैन्टी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उसके तन से अलग कर दिए। उसने फटाक से मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर अपना हाथ मेरे लण्ड तक पहुँचा दिया। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और उसने मुझे मुख-मैथुन करने को कहा। हमने 69 की मुद्रा बनाई और उसकी चूत को चाटने लगा। उसने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसकी चूत को इस कद़र चूसा कि उसकी सिसकियाँ निकल गईं। अब वह जल्दी ही अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली थी। मैंने एक कॉण्डोम अपने लण्ड पर लगाया, उसे सीधा करके उसे अपने नीचे ले लिया और उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया। चूत थोड़ी सी ढीली थी लेकिन वह पूरा साथ दे रही थी। वैसे भी कुछ ही झटके लगे और उसकी चूत से पानी बाहर आ गया। वह मुझे कसके पकड़े हुई थी। मैंने भी थोड़ी ही देर में अपना काम पूरा कर लिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा, उसके बाद वह मुझे अपने साथ अपने बाथरूम में ले गई। हम दोनों घर में अकेले ही थे। वह वहाँ जाकर बाथ-टब में चली गई और मुझे भी आने का आमंत्रण दिया। काफी देर तक मैं उसकी चूत को सहलाता रहा। वह फिर से सिसकियाँ भरने लगी। उसने कहा कि इस बार पानी के भीतर ही सेक्स करेंगे। मैंने कॉण्डोम लगाया और पानी के भीतर ही उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अभी हम दोनों का चूत-लण्ड का खेल शुरू ही हुआ था कि दरवाज़े की घंटी बजी। थोड़ी देर के लिए वह सोच में पड़ गई कि आख़िर कौन आ गया। उसने सोचा कि दरवाज़ा नहीं खोलूँगी, जो भी होगा वापस लौट जाएगा। लेकिन दरवाज़ा खुल गया, और जो अन्दर आई, वो थी उसकी बेटी। वह इधर-उधर देखती हुई सीधी हमारे पास आई। वह हमे इस हालत में देख चौंक पड़ी। वह बोली, मम्मी ये सब क्या है? तो वह बोली, बेटा हम तो बस मज़े कर रहे हैं। अगर तुम्हें पसन्द हो तो तुम भी कर सकती हो, तुम भी इसका मज़ा ले सकती हो। उसकी बातें सुनकर मैं तो हैरान ही रह गया। उसकी लड़की ने कहा, “मम्मी, ये सेक्सी है कौन?” “बेटी, ये माही है, एक प्लेब्वॉय।” – माँ ने कहा। “यानि मज़ा का मज़ा और राज़ भी छुपा का छुपा।” बेटी बोली। तब तक मेरे दो घण्टे पूरे हो चुके थे। मैंने जाने की बात कही, कि तभी उसकी बेटी सिमी ने मुझे जाने से रोक दिया और बोली, “कोई बात नहीं सेक्सी ! दोगुने पैसे ले लेना और अगर ख़िदमत अच्छी की तो टिप भी मिलेगी।” अब तक सिमी भी टब में ही आ गई थी। सिमी की मम्मी ने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर रखा और दूसरा हाथ रिमी की मस्त प्यारी-प्यारी चूत पर रख दिया। दोनों ने मिलकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। सिमी की मम्मी एक बार अपनी चूत चुदवा ही चुकी थी, इसलिए उसने सिमी से कहा, “जाओ, बेडरूम में जाओ, और खुलकर लण्ड के मज़े लो। सिमी ने कहा, “नहीं मॉम, मैं आप के सामने ही चूत मरवाना चाहती हूँ। सिमी की चूत चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और एक झटके में लण्ड उसकी चूत में पहुँचा दिया। सिमी की मॉम को डर था कि सिमी को खून निकलेगा, लेकिन सिमी की चूत से खून नहीं निकला। सिमी की मॉम ने पूछा, तो सिमी ने कहा, “मॉम क्या तुम्हारी चूत से अभी खून निकला था?” “नहीं।” – मॉम ने कहा। “तो फिर मेरी से भी नहीं निकला।” उसकी मॉम समझ गई कि सिमी ने पहले भी चूत चुदवाई हुई है। अब तक मैं सिमी को कस कर चोदने लगा था और सिमी भी पूरी तरह से चुदाई का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर में ही सिमी झड़ने वाली थी, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ज़ोरों से सिसकियाँ भरने लगी। झड़ते-झड़ते सिमी ने कम से कम पूरा एक मिनट का समय लगाया। अब मैं भी सिमी की चूत में ख़ुद को झड़ने से रोक नहीं पाया और उसकी प्यारी सी कसी हुई चूत में अपना स्खलन पूरा किया। वह चुदाई मेरे कॅरियर की सबसे अहम चुदाई थी, जिसमें एक ही जगह माँ बेटी एक ही बार चुदी थी। ख़ैर उस दिन के बाद तो अक्सर वह मुझे बुलाती रहती थी, और मज़े की बात तो यह कि दोनों एक ही साथ।

मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी ।



मेरा नाम आशा है। मेरा छोटा भाई दसवी मैं पढ़ता है। वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है। मैं इस समय 11 की हूँ और वह 15 का। मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं। दिल करता है कि बस चबा लूं। पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे। मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है। एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी। उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी। माँ को एक हफ़्ते बाद आना था। रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टीवी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये। करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी। अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी। मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अमित के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था। मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ। मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी। अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है। मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया। उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया। फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी। मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं। मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा। घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता। मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे। जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी, अगर यह मुठ मार रहा था। मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा। मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, “अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता”। वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा। मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे। जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा। “अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं। “और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब 6 मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था, इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, “चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है। “अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। “दीदी मुझे शर्म आती है। “ साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली। मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ”। “अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलिये कि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक सी चूत में कैसे जायेगा? और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब 6 इँच का लम्बा और 15 इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं। देख अब तेरा खड़ा हो गया है। तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ”। मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था, बीच - बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था। एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा। मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया”. “सच दीदी बहूत मज़ा आया”। “अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?” “दीदी शर्म आती है। बाद मैं बताऊँगा”। इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया। “अच्छा चल अब सोजा नींद अच्छी आयेगी। और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना”। “अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है”। “चल शैतान कहीं के”। मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है। अमित के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था।अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया। चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के। मैं बेड पर लेट गयी। अमित के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी। तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अमित के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी। इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अमित का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले। उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी। बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी। सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था। लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या। बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अमित के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये। फिर उठ कर तैयार हुयी।अमित भी स्कूल जाने को तैयार था। नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे। नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये। अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ। मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली। चलते समय मैंने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ”। वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया। वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था। वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था। मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली। मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?” “अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया। उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था। “क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित” “दीदी रात की तो बात ही मत करो। कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ”। “अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में” “हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया। काश कल की रात कभी खत्म ना होती। आपके जाने के बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ। ऐसे ही सो गया”। “तो मुझे बुला लिया होता। अब तो हम तुम दोस्त हैं। एक दूसरा के काम आ सकते हैं”। “तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का”। “चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है। ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास। “अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी। आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा। मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा”। तब तक उसका स्कूल आ गया था। मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी। स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है। मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया। शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी। अमित 2 बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया। मुझे लेटा देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?” “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या” “दीदी कल सण्डे है ही। वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है”। मैंने हंसी दबाते हुए कहा, “क्यों पूरा तो करवा दिया था। वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये। सेहत पर असर पढ़ता है। कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं”। “दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो”। “नहीं ऐसी बात नहीं है। लड़की पटानी आनी चाहिये”। फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी। मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?” “हाँ दीदी सुधा से”। “कहाँ तक” “बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं”। मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, “कभी उसकी लेने का मन करता है?” “दीदी आप कैसी बात करती हैं”। वह शर्मा गया तो मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है। मुट्ठी तो तो रोज मारता है। ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता”। “लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है”। “तो इसका मतलब है कि उसकी असल में लेना चाहता है”। मैंने कहा। “उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है”। “जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया। इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा। मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी। मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो। मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ”। वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी। फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते। अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं। जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है। जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है। बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था। वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया। उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था। एकाएक मुझे एक आइडिया आया। मैं बोली, “मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे”। यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी। मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी। लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी। वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा। उसका स्पर्श बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी। थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा। करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी। उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, “तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?” “अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे”।आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी। मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है। उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है। “अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर - ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी”। “पर कैसे दीदी”। उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये। मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है। और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो। जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो। वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों”। अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह बोला, “दीदी तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था। कभी - कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती”। “तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर”। “कौन सा दीदी” “बातों वाला। यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है। अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी”। “पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं। तारीफ के काबिल तो आपके है”। वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया। मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था। मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, “मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है”। “नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है। बहुत दिल करता है”। और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया। “अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता”। मैंने इठला कर पूछा। “इनको सहलाने का और इनका रस पीने का”। अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी। “तो कल रात बोलता। तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती। मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता। चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना”। इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था। “अरे ये तो अभी से तैयार है”। तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया। मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया। ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी। उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया। तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है। मैंने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा”। उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी। वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था। अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ। अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे। इसलिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, “अरे ये क्या तो जबरदस्ती करने लगा। तुझे शर्म नहीं आती”। “ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर। रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया”। उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी। वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा। मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी। कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है”। उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा। कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, “कभी किसी को किस किया है?” “नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है”। “बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये”। “कैसे” उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया। अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास ले जा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी। करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली। “ऐसे”। वह बहूत एक्साइटिड हो गया था। इससे पहले कि मैं बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूं आपको एक बार” “कर ले”। मैंने मुस्कराते हुए कहा। अमित ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया। मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी। उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी। इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी।उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कसकर दबा रहा था। मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी। लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था। चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ। मैं बोली, “चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ”। “दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ” “क्या” मैंने पूछा। “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे”। ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है। वह बोला, “दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है। डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी। मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ”। “नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन”। “दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये”। “अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा”। “दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी”। मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है। तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा। वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया। उसका लण्ड तन कर खड़ा था। मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया। वह अब और नहीं रूक सकता था। उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी। मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी। सुन अमित ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है। ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे”। “नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ”। और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी। उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया। अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था। वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है”। वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये। मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने कहा, “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है”। “दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर”। “हाय भय्या तो कितना बेशर्म है। अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था”। “ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है। मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था। आज दिल की आरजू पूरी हुयी”। और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया। “अरे तो मुझे इतना चाहता है। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है। पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती”।और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी। बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती। “दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है। जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता। पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ”। वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना। “अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ”। और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ। मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था। मुझे उस पर बड़ी दया आयी। साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है। अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ। इसलिये उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है। और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी।चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत”। मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, “सच दीदी”। और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ। “तू बहुत किस्मत वाला है अमित”। मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली। क्यों दीदी” “अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने कब से चोदना चाहता था”। “हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था”। फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा। उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी। मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। वह अब झड़ने वाला था। मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था। मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और “हाय आशा मेरी जान” कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया।मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और “हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी। चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था। हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे। कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में” उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था। उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मजा आया दीदी। यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ”। “तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है” “नहीं दीदी यह बात नहीं है”। “तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का”। “नहीं दीदी ये बात भी नहीं है। मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं। मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का ही पीता रहूं। हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी। अगर एक दो और होती तो सबको चोदता। दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं”। “कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया”। “तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है। अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी। जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी। बहुत मज़ा आता है”। “सच दीदी” “हाँ। अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी”। “नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है। बाहर क्या मज़ा आयेगा” “अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा”। “ओह दीदी ये कैसे होगा” “घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी। माँ अभी 38 साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा”। “हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं।दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा”। “जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये”। “दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार”। और लण्ड को चूत पर दबा दिया। “सिर्फ एक बार”। मैंने ज़ोर देकर पूछा। “सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा”। “सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं”। “क्यों दीदी” अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था। मैंने उसे झटके देते हुए कहा, “अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे” “हाँ दीदी”। “ठीक है बाकी दिन क्या होगा। बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या। और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये। अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं”। उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, “ओह दीदी यू र ग्रेट”।

बहुत जोर से करते हो

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मंजू की चुदाई


मेरा नाम जीतू है, मैं 26 साल का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ। यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे। एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है। मैने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर - घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है? मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन मंजू है। यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4” भरा - भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी। ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की मंजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी। मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी। मैने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक मंजू के हाथ पर लगा। मैने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा। मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा। तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती। एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया। उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैने उनको खूब चूसा और दबाया। वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा - उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6” लंबा और 3.5” मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा - उठा कर चुदवाने लगी। मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज - तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है। तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा। तो दोस्तों यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ.

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

अपनी मौसी को ही चोद !

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चोरी का तोहफ़ा


मैं बचपन से अच्छे माहौल में नहीं रहा हूँ। मैं चोरी बहुत कुशलता से कर लेता हूँ। पर इसके लिये भाग्य का भी आपके साथ होना जरूरी है।शारीरिक सुडौलता एक आवश्यक गुण है। इसके लिये मैं हमेशा कठिन योग भी करता हूँ और जिम भी जाता हूँ। मेरा शरीर एक दम चुस्त और वी शेप का है। मैं सुबह सुबह मैदान के चार से पांच चक्कर लगाता हूँ। मेरी चोरी करने के कपड़े भी एकदम बदन से चिपके हुए होते हैं। तो आईये चलते हैं चोरी करने. मेरे सामने एक मकान है। उसमें एक छोटा सा परिवार रहता है। सिर्फ़ मियां-बीवी और उनकी एक १८-१९ साल की लड़की वहां रहती है। पैसा अच्छा है. जो सामने वाले कमरे कि अल्मारी में रखा है। उसकी अलमारी की चाबी मालकिन के पास उसके तकिये के नीचे होती है। रात की शिफ़्ट में मालिक काम करता है। मालिक ड्यूटी पर जा चुका है। मैं मकान के पास, कभी पान की दुकान पर या पास की चाय की दुकान पर मंडरा रहा हूँ। कमरे की लाईट अभी जल रही है. मैने समय देखा रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। और अब लाईट बन्द हुई है। मैंने टहलते हुये उस घर का एक चक्कर लगाया. सभी कुछ शान्त था। १२ बज चुके हैं।. मैं घर के पिछ्वाड़े में गया और एक ही छलांग में चाहरदीवारी पार कर गया। बिना कोई आवाज किये बाल्कनी के नीचे आ गया। उछल कर बालकनी में आ गया। थोड़ी देर इन्तजार करके खिड़की को धीरे से धक्का दिया. मेरी आशा के अनुरूप खिड़की खुली मिली. मैने धीरे से कदम अन्दर बढ़ाया। कमरे मे पूरी शान्ति थी। सामने बिस्तर था। मैं दबे पांव वहां पहुँचा। वहां पर, जैसा मैंने सोचा था, घर की मालकिन सो रही थी। मै चाबी निकालने के लिये ज्यों ही झुका. “मैने दरवाजा खुला रखा था. खिड़की से क्यों आये” फ़ुसफ़ुसाते हुये मालकिन ने कहा। मै घबरा गया। पर मेरा दिमाग कंट्रोल में था। “बाहर से कोई देख लेता तो” मैंने हकलाते हुए कहा, “लेट क्यो आये, इतनी देर कर दी”. “लाईट जली थी, मैं समझा कि कोई है” उसने मुझे अपने बिस्तर पर मुझे खींच लिया. “तुम मनोज के दोस्त हो ना, क्या नाम है तुम्हारा”. “जी, सोनू है”. “अरे, मनोज तो रवि को भेजने वाला था, तुम कौन हो”. ” जी, मैं रवि ही हूँ. सोनू तो मुझे प्यार से कहते हैं”. “अरे सोनू हो या मोनू, तुम तो बस शुरू हो जाओ” उसने मुझे अपनी बांहों मे कस लिया। मुझे अहसास हुआ वो बिलकुल नन्गी थी। मैं चोरी के बारे में भूल गया। मेरे शरीर मे गर्मी आने लगी वो किसी का इन्तजार कर रही थी। शायद रवि का, “दरवाजा खुला है क्या ?”. “अरे हां, ” वो जल्दी से उठी और दरवाजा बन्द करके आ गई। मैने भी अपने कपड़े उतार लिये और नंगा हो गया। “आपका नाम क्या है,” मैने उसका नाम पूछ ही लिया. “कामिनी, क्यों मनोज ने बताया नहीं क्या”. मैने कुछ नहीं कहा, उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया. और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये। मेरे बदन में वासना भड़क उठी। उसका नंगा बदन मुझे रोमान्चित कर रहा था। मेरा लण्ड जाग चुका था। और अपने काम की चीज़ ढूंढ रहा था।फ़ड़फ़ड़ाती चिड़िया को कामिनी ने तुरन्त अपने कब्जे में ले लिया। मेरे लण्ड पर उसके हाथ कस चुके थे और अब उसे मसल रहे थे। मेरे मुख से आह निकल गई. मैंने उसे चूमना जारी रखा, तभी “बहन के लौड़े, मेरी चूंचियां तो दबा” उखड़ती हुई सांस और एक गाली दी. मैं और उत्तेजित हो गया। उसके बोबे बड़े थे. दबा दिये और उन्हें मसलने लगा। “मेरी जान, जल्दी क्या है. देख तेरी चूत को कैसा चोद कर भोंसड़ा बना दूंगा”. कामिनी मेरे लण्ड की खाल को ऊपर नीचे मुठ मारने जैसी चलाने लगी। मैने जोश में आकर उसके चूतड़ों को दबा डाला। “हाय रे मेरी गाण्ड मसल दी, बहन चोद, मेरी गाण्ड मारनी है क्या” वो वासना में डूब चुकी थी। “इच्छा है तो कहो, आपका गुलाम हूँ” मैने उसकी चमचागिरी की। “तो चल चोद दे पहले मेरी गाण्ड. फिर मेरा भोंसड़ा चोद देना” उसकी भाषा, हाय रे, मुझे उत्तेजित कर रही थी। शायद वो बहुतों से चुदा चुकी थी. और उसकी गाली देने की आदत पड़ गई थी। मैंने उसके मस्त चूतड़ दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी। वो सीधी लेटी थी। मैंने उसकी चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और गाण्ड ऊंची कर दी। मैने उसकी गाण्ड पर अपना लण्ड टिका दिया और जोर लगाने लगा। मेरे दोनो हाथ फ़्री थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड मे उतर गया. मैने उसके बोबे दबाये और उसकी गाण्ड को चोदना चालू कर दिया। वो मस्त होने लगी। कुछ देर बोबे मसलने के बाद बोबे छोड़ कर उसकी चूत में अपनी अंगुली घुसा दी। वो चिंहुक उठी। बोली -”हरामी ये तरीका किसने बताया रे, मस्त स्टाईल है. अब तो चूत में भी मजा आ रहा है।” ” कामिनी जी, आपकी चूत मस्त है, अगर इसकी मां चुद जाये तो आपको मजा आ जायेगा ना”. “हाय मेरे सोनू,  तूने ये क्या कह दिया. मां चोद दे मेरी भोसड़ी की, हाय, सच में बहुत प्यासी है रे” मेरा लण्ड अब थोड़ा तेजी पर था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, उसकी गाण्ड थोड़ी सी टाईट भी थी। मेरे धक्के उसकी गाण्ड में और उसकी चूत में मेरी अंगुलियां तेजी से चल रही थी। वो लगभग चीखती हुई सिसकारियां भर रही थी। उसे डबल मजा जो मिल रहा था। अब मेरा भी लण्ड फूल कर बहुत ही मस्त हो रहा था। मुझे लग रहा था कि ऐसे ही अगर गाण्ड चोदता रहा तो मैं झड़ जाऊंगा। मैने अपना लण्ड अब गाण्ड में से निकाला और उसकी चूत में फ़ंसा दिया। मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में फ़क से फ़िट हो गया । “हाय्…री… गया अन्दर… चुद गई…रे……” वो मस्त होती हुई सिसकने लगी। मुझे भी तेज आनन्द की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में लण्ड उतराता हुआ मह्सूस हो रहा था। मेरे लण्ड की चमड़ी रगड़ खाती हुई तेज मजा दे रही थी। मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मै उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथो से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी। “तू तो गजब का चोदता है रे, मुझे तूही रोज़ चोद जाया कर”. “मत बोलो कुछ भी, मुझे बस चोदने दो, हाय रे…कितना मजा आ रहा है”. “मादरचोद…रुक जा…झड़ना मत……वर्ना मेरी चूत को फिर कौन चोदेगा”. “चुप रहो … छिनाल… अभी तो चुद ले… झड़े तेरी मां… कुतिया…” मेरे धक्के बढ़ते गये। उसकी सिसकारियां भी बढ़ती गई. उसकी गालियां भी बढ़ती गई. अचानक ही गालियों की बौछार बढ़ गई. “हरामी … चोद दे……मेरी भोसड़ी फ़ाड़ डाल…… मेरी बहन चोद दे… कुत्ते… मार लण्ड चूत पर… हाय रे मेरी मां” मैं समझ गया कि अब कामिनी चरमसीमा पर पहुंच रही है। मैंने भी अपने आप को अब फ़्री छोड़ दिया झड़ने के लिये। “मर गई रे…… भोंसड़ी के… लगा… दे धक्के… निकाल दे मेरा पानी… मादरचोद रे…अरे…गई… निकला रे……हाऽऽऽऽय री मां”. और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा. दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था। कामिनी ने मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। हम आपस में चिपके रहे। अब मैं बिस्तर से नीचे उतर गया था। “बस कामिनी जी, आपने तो मेरा पूरा रस निकाल दिया”. “……ये लो… कल दरवाजे से आना……” कामिनी ने मुझे ५०० का एक नोट दिया”. तुम बहुत अच्छा चोदते हो. अब मुझे किसी दूसरे की जरूरत नहीं है”. मैने झिझकते हुए रुपये ले लिये और चुपचाप सर झुका कर दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।

भाभी का प्यार


मेरा नाम आना है. आज में आप को मेरी कहानी सुनाने जा रही हूँ की कैसे मुझे मेरा जीवन साथी मीला और कैसे उस ने मुझे पहली बार चोदा. ये घटना घटीं तब में २३ साल की थी. शादी नहीं हुई थी लेकिन कंवारी भी नहीं थी. जब में 18 साल की थी तब मेरे एक cousin ने मुझे पहली बार चोदा था. हम दोनो चुदाई से अनजान थे. दोनो में से एक को पता नहीं था की लंड कहॉ जता है और कैसे चोदा जता है. मेरी कोरी चूत में यूं ही उस ने लंड घुसेड दीया था और तीन चार धक्के में झड गया था. मुझे बहुत दर्द हुआ था जो तीन चार दीन तक रह था. उस के बाद दो ओर लड़कों ने मुझे चोदा था लेकीन मुझे कोई खास मजा आया नहीं था. हुआ क्या की मुझे बरोड़ा में MBA में admission मीला. रहने के लीये ladies होस्टल में तुरंत जगह ना मिल. मुझे चार महीना मेरी cousin दीदी नीलम के गहर रहना पड़ा. में खूब खूब आभारी हूँ दीदी की जीस ने मुझे आश्रय दीया और जीस की वजह से में मेरे पती को प सकी, जीस की वजह से orgasm का सवाद ले सकी. मेरे बारे में बता दूँ. पांच फ़ीट छे इंच लम्बाई के साथ मेरा वजन है कुछ १४० पौंड, यानी की में पतली लड़कियों में से नहीं हूँ, जरा सी भरी हूँ. मेरा रंग गोरा है, बाल और आँखें काले हैं. चाहेरा गोल है. मुँह का ऊपर वाला होठ जरा सा आगे है और नीचे वाला मोटा भारव्दर है. मेरी सहेलियाँ कहती है की मेरा मुँह बहुत किस्सब्ले दीखता है. मेरा सब ससे ज्यादा आकर्षक feature है मेरे स्तन. जो मुझे देखता है उस की नजर पहले मेरे स्तनों पर जम जाती है. ४३ साइज़ के स्तन पुरे गोल है और जरा भी ज़ुके हुए नहीं है. मेरी areola और निप्प्लेस छोटी हैं और बहुत sensitive हैं. कभी कभी मेरी निप्प्लेस ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर सकती है. मेरा पेट भरा हुआ है लेकीन नितम्ब भरी और चौड़े हैं. मेरे हाथ पाँव चिकने और नाजुक हैं. अब क्या रह ? मेरी bhos ? इस के बारे में में नहीं बतौंगी, मेरे वो कहेंगे. खैर, में नीलम दीदी के साथ रहने चली आयी.आप नीलम दीदी को जानते होंगे. नीलम की जग्रुती के नाम उस मे अपनी कहानियाँ इस में प्रगत की है. उस के पती, मेरे जीजु Dr. वीन्य बरोदा में practice करते थे. वो दीदी के फूफी के लडके भी लगते थे. दीदी और जीजु सेक्स के बारे में बिल्कुल खुले विचार के थे. दीदी ने खुद मुझे कहा था की कैसे वीन्य के एक दोस्त Jigar को लंड खड़ा होने की कुछ बिमारी थी और इलाज के जरिये कैसे दीदी ने जिगर से चुदावाया था. अपने पती के सीवा ग़ैर मर्द का वो पहला लंड था जो दीदी ने लीया था. इस के बाद दीदी ने अपने बॉस पर तरस खा कर उस से भी चुदावाया था. दीदी और जीजू का एक closed ग्रुप था. जो अक्सर ग्रुप चुदाई करता था. नए मेंबर की पूरी छान पहचान के बाद ही ग्रुप में शामील कीया जता था. शुरू शुरू में शरम की, दीदी और जीजू से दूर रही, ज्यादा बात भी नहीं कराती थी. जीजू हर रोज मेरे स्तन की साइज़ के अंदाज़ लगते थे, लेकीन कभी उसने छेद छाड़ नहीं की थी. दीदी धीरे धीरे मेरे साथ बातें बढ़ाने लगी और कभी-कभी dirty जोकेस भी करने लगी. ऐसे ही एक मौक़े पर उसने मुझे बताया था की चुदाई के बारे में उन की क्या philosophy है. एक दीन कालेज जलदी छूट गयी और में जलदी घर आ पहुंची. दोपहर को घर पर कोई होगा ये मैंने सोचा ना था. मेरे पास चाबी थी, दरवाजा खोल में अन्दर गयी. Siting रूम के दरवाजे में ही मेरे पाँव थम गए, जो सीन मेरे सामने था उसे देख कर में हील ना सकी. सोफा पर जीजू लेते थे. उन के पाँव जमीं पर थे. पतलून नीचे सरका हुआ था. दीदी उन पर सवार हो गयी थी. जीजू का लंड दीदी की चूत में फसा हुआ था. दीदी कुल्हे गीरा कर लंड चूत में अन्दर बहार कराती थी. जब दीदी के कुल्हे ऊपर उठाते थे तब जीजू का मोटा सा आठ इंच लम्बा सा लंड साफ दिखाई देता था. जब कुल्हे नीचे गिरती थी तब पुरा लंड चूत में घुस जता था. दीदी के स्तन जीजू के मुँह पास थे और मेरे ख़याल से जीजू उसकी निप्प्लेस भी चूस रहे थे. मैंने ऐसा खेल कभी देखा नहीं था. मेरा दील धक् धक् कराने लगा, बदन पर पसीना छा गया और चूत ने पानी बभा दीया. इतने में जीजू ने मुझे देख लीया. चुदाई की रफ्तार चालू रखते हुए वो बोले: अरे, आ ना, कब आयी ? आजा आजा, शरमाना मत. में तुरंत होश में आयी और भाग कर मेरे कमरे में चली गयी. दुसरे दीन जीजू practice पर गए तब मैंने दीदी से कहा: दीदी मुझे माफ़ कर देना, में अनजाने में आ पहुंची थी. मुझे पता नहीं था की जीजू उस वक्त घर पर होंगे और तुम.तुम.. दीदी ने मुझे आश्वासन दीया की कुछ बुरा हुआ नहीं था. वो बोली: देख, आना, सेक्स के बारे में हम बिल्कुल खुले वीचार के हैं. चोद ने चुदावाने से हम संकोच नहीं रखते हैं. हम दोनो बीच समजौता भी हुआ है की तेरे जीजू कीसी भी लडकी को चोद सकते हैं और में कीसी भी मन पसंद मर्द से चुदावा सकती हूँ. लेकीन एयर ग़ैर के साथ हम चुदाई नहीं करते. हमारा एक छोटा सा ग्रुप है जीन के मेम्बेर्स आपस में ग्रुप सेक्स करते हैं. मुझे ये सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ. मैंने पूछा: तो तुम ने जीजू के आलावा ओर कीसी से ? दीदी: हाँ, चुदावाया है, और तेरे जीजू ने दुसरी दो लड़कियों को चोदा भी है. मैं: आप के ग्रुप में कोई भी शामील हो सकता है ? दीदी: नहीं, आने वाला मर्द या लडकी सब को मंजूर होना चाहिऐ. ज्यादातर हम जाने पहचाने व्यकती को ही बुला लेतें हैं. मैं: मैं पूछ सकती हूँ की कौन- कौन है आपके ग्रुप मे ? दीदी: अभी नहीं.वक्त आने पर बतौंगी. मैं: कीस ने ये ग्रुप शुरू कीया और कैसे ? दीदी: वीन्य के एक दोस्त को लंड खडे होने की बीमारी थी. इलाज के जरिए मैंने उसे चुदावाया. वीन्य वहां मोजूद थे. दोस्त के बाद तुरंत वीन्य ने मुझे चोदा. उनको ओर ज्यादा मजा आया. वो कहने लगे की दुसरे लंड से चुदायी चूत को चोदने में ओर ज्यादा मजा आया. उनके दोस्त ने वचन दीया की वो ऐसी लडकी से शादी करेगा जो वीन्य से चुदवाने तैयार हो. ऐसी मील भी गयी और उन की शादी भी हो गयी. वचन के मुताबीक दोस्त की पत्नी ने वीन्य से चुदावाया. उस वक्त मैं और दोस्त भी मोजूद थे, हमने भी मस्त चुदाई कर ली. बाद में दुसरे दो कोउप्लेस शामील हुए. मैं : एक बात पूछूं ?. दीदी : क्या ?. मैं : जिसे ये लोग orgasm कहते हैं वो क्या होता है ?, दीदी : orgasm तो महसूस कीया जता है. दुनीया का सब से उत्तम आनंद orgasm में है. कई लोग उसे ब्रहमानंद का भाई कहते हैं तो कई लोग उसे छोटी मौत कहते हैं. orgasm दौरान व्यकती अपने आप को भूल जाती है और बस आनंद ही आनंद का अनुहाव होता है. मैं : हर एक चुदाई के वक्त orgasm होता है ?, दीदी : आदमी को होता है. उस वक्त लंड से वीर्य की पिचाकरियाँ छूटती है. लडकी को ना भी हो, एक बार हो, या एक से ज्यादा भी हो. चोदने वाला सही तेचनीक जनता हो तो लडकी को एक बार की चुदाई में दो या तीन orgasm दे सकता है. मैं : जीजू कैसे हैं ?, दीदी : बहुत अच्छे, मैं : आप लोग रोज.रोज ?, दीदी : हाँ, रोज जीजू मुझे चोदते हैं, कम से कम एक orgasm होने तक. कभी कभी दो orgasm भी करवाते हैं. तूने अब तक चुदावाया नहीं है क्या ?, मैं : सिर्फ तीन बार, बहुत दर्द हुआ था पहली बार. थोड़ी सी गुदगुदी हुई थी वहां, इनसे ज्यादा कुछ नहीं. दीदी : वहां चूत में ? मैं ; हाँ, जब - जब, वो छोटे दाने से touch होता है ना ? दीदी : वो छोटे दाने को क्लितोरिस कहते हैं. आदमी के लंड बराबर का अंग है वो, अच्छी तरह क्लितोरिस को उत्तेजित कराने से orgasm होता है, छोड़ ये बातें. साफ - साफ बता, चुदावाना है अपने जीजू से ? दीदी की बात सुनते ही मैं शरमा गयी. जीजू का लंड याद आ गया. तुरंत मेरी चूत ने संकोचन कीया और clitoris ने सर उठाया. निप्प्लेस कड़ी होने लगी. मैं कुछ बोल ना सकी. दीदी मेरे पास आयी. मेरे स्तन थम कर बोली : तू ने padded ब्रा तो नहीं पहनी है ना ? कितने अच्छे है तेरे स्तन ? तेरे जीजू कहते हैं की ऐसे स्तन पाने के लीये तुने काफी चुदाई की होगी. मैं : दीदी, मैं तो मोंटी हूँ, कौन पसंद करेगा मुझे ? सब लोग पतली लडकीयां धुनधते हैं. दीदी : अरे, थोड़ी सी मोंटी हो तो क्या हुआ ? खुबसुरत जो हो, कोई ना कोई मील जाएगा. चुदवाने की इच्छा हो तो बोल, मैं वीन्य से बात करुँगी. मैंने धीर आवाज से हां कह दी. उस शाम खाना खाते समय मैं जीजू से नजर नैन मीला सकी. वो तो बेशरम थे. बोले : क्या ख़याल है साली जी ? पसंद आया मेरा लंड ? दीदी : वीन्य, छोदिये बेचारी को. बहुत शराती है. अब तक उस ने तीन बार ही लंड लीया है. जीजू : अच्छा, तब तो कंवारी जैसी ही है, ऐसा ना ? दीदी : हाँ, ऐसा ही, और उसने orgasm महसूस नहीं कीया है. वो ऐसे लडके को धुंध रही है जो उसे अच्छी तरह से चोदे और orgasm करवाये. जीजू : अरे वह, अपने जीजू को छोड़ दुसरे से चुदवाने चली हो ? मैं : ऐसा नहीं है. मुझे ड़र था की अप्प ना बोले तो ? जीजू : ना बोलूं ? तेरे जैसी खुबसुरत साली को चोदने से कौन मूर्ख ना बोलेगा ? हो जाय अभी ? बोले बीन मैंने सर ज़ुका दीया. होंठों की मुस्कान मैं रोक ना सकी और जीजू से छीपा ना सस्की. जीजू उठ कर मेरी कुर्सी के पीछे आये, मेरे कन्धों पर हाथ रख कर आगे ज़ुके और मेरे गाल पर कीस कराने लगे. मुझे गुदगुदी होने लगी, मैं छात्पता गयी. दीदी बोली : तुम दोनो बेडरूम में चले जाओ, मैं बाद में आती हूँ. जीजू मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में पलंग पर ले गए. मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकीन जीजू का लंड याद आते ही उनसे चुदवाने की इच्छा जोर कर देती थी. जीजू ने मुझे night ड्रेस पहनने दीया और खुद ने भी पहन लीया. जीजू अपने पाँव लंबे कर के पलंग पर बैठे और मुझे अपनी गोद में बिठाया, मेरे पाँव भी लंबे रख दिए. मेरी पीठ उन के सीने से लगी हुई थी. उनके हाथ मेरी क़मर से लिपट कर पत् तक पहुंच गए. मेरा चाहेरा घुमा कर मेरे मुँह पर कीस की. फ्रेंच कीस का मुझे कोई अनुभव ना था, क्या करना वो मुझे पता ना था. मैं होठ बंद किए बैठी रही. उन्होंने जीभ से मेरे होठ चाटे और जीभ मुह में डालने का प्रयास कीया. मैंने मुँह खोला नहीं. मेरा नीचे वाला होठ अपने होंठों बीच ले कर चूसा. मेरे बदन में ज़ुर्ज़ुरी फेल गयी और मेरी दोनो निप्प्लेस और clitoris खादी होने लगी. पेट पर से उन का हाथ मेरे स्तन पर आ गया. मैंने मेरे हाथ की चौकादी बाना कर स्तन धक् रक्खे थे. मेरा हाथ हटा कर स्तन थम लीये. ऊपर से सहलाने लगे और बोले : आना, तेरे स्तन तो बहुत बडे हैं, और कठीन भी हैं. मैं कुछ बोली नहीं, उन के हाथ पर हाथ रख दीया लेकीन हटाया नहीं. कुछ देर तक स्तन सहलाने के बाद nighty के हूक खोल दीये. मुझे शर्म आती थी इसी लीये मैंने निघ्त्य के पहलुओं को पकड़ रक्खे, हटाने नहीं दीये. वो फीर से मेरे मुँह पर कीस कराने लगे तो मैं भूल गयी और nighty पूरी खोल दी. जैसे उन्होंने नंगा स्तन हथेली में लीया वो चीख पडे और बोले : ये क्या चुभ गया मेरी हथेली में ? देखूं तो. उन का इशारा था मेरी नुकीली निप्प्लेस से. उंगलियों ने निप्प्लेस पकड़ ली, मसली और वो बोले : ये ही चुभ रही थी. अब बात ये है की मेरी निप्प्लेस बहुत sensitive है. उन की उन्गलियाँ छुते ही वो कड़ी हो गयी और बिजली का करंट वहीँ से निकल कर clitoris तक दौड़ गया. मेरी चूत ने रस बहाना शुरू कर दीया. उन का एक हाथ अब फीर से पेट पर उतर आया और पेट पर से जांघ पर चला गया. मेरी दाहिनी जांघ ऊपर उठायी. जांघ के पिछले हिस्से पर हाथ फिसलने लगा. घुटन से ले कर ऊपर चूत तक जांघ सहलायी लेकीन vulva को छुआ नहीं. मुँह पर कीस करते हुए दुसरे हाथ से पाजामा की नदी खोल दी. मैं इतनी excite हो गयी थी की मैंने पाजामा उतरने में कोई विरोध कीया नहीं, बलकी कुल्हे उठा कर सहकर दीया. अब उनका हाथ मेरी नंगी जांघ का पिछला हिस्सा सहलाने लगा. दुसरा हाथ चूत पर लग गया. उस की उंगलियों ने clitoris धुंध ली. दुसरे हाथ ने चूत का मुँह खोज लीया. एक साथ clitoris टटोली और चूत में दो उन्गलियाँ भी डाली. उन की excitement भी कुछ कम नहीं थी. उन का तातार लंड कब का नेरए कुल्हे से सैट गया था. लंड जो कम रस बहा रह था इस से मेरे नितम्ब गीले हो चुके थे. एक ओर मेरी चूत ने फटके मरने शुरू किए तो दुसरी ओर लंड ठुमका लेने लगा. कीस छोड़ दी, मुझे थोडा अलग कीया और अपना पाजामा उतर दीया. उन्होंने कॉन्डोम पहन लीया. एक हाथ से लंड सीधा पकड़ रख के मेरे कुल्हे ऐसे रख दीये की लंड का मत्था मेरी चूत में घुस गया. मैंने हौले से चूतड नीचे किए. आसानी से जीजू का पुरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मैं पीछे की ओर ढल कर सीने पर लेट गयी. अपने कुल्हे हील कर धीरे धक्के से वो मुझे चोदने लगे. साथ - साथ उनकी उंगली clitoris सहलाती रही. इस पोसिशन में लेकीन थोडा सा ही लंड चूत में आया जाया कर सकता था. इसी लीये उन्होंने मुझे धकेल कर आगे ज़ुका दीया और चारों पैर कर दीया. वो पीछे से ऊपर चढ़ गए. अब क़मर हिलाने की जगह मील गयी. लंबे धक्के से वो चोदने लगे. पुरा लंड बहार खींच कर वो एक ज़ताके से चूत में घुसेड ने लगे. मेरी योनि की दीवारें लंड से चिपक गयी थी. थोड़ी ही देर में धक्के की रफ्तार बढ़ाने लगी. आगे ज़ुक कर उन्होंने मेरे स्तन थम लीये और चोदते चले. मुझे बहुत मजा आ रह था. मैंने सीर पलंग पर रख दीया था. इतने में जीजू जोर से मुज़ से लिपट गए, लंड चूत की गहरे में घुसेड दीया और पांच सात पिचाकरियाँ मार कर झड गए. उनके लंड ने ठुमक- ठुमक ठुनके लग्गाये और मेरी चूत में कुछ फटके हुए. बहुत मजा आया. लंड निकल कर वो उतर गए. इतने में दीदी आ गयी. पूछा : आया ना मजा ? मैंने सर ज़ुका दीया. जीजू बोले : छोटा orgasm हुआ आना को. तुम कुछ करना चाहती हो ? दीदी : ना, अभी नहीं. मेरी राय है, की उसे लंड से ही पक्का orgasm करवाना चाहिऐ. जीजू : तो कल हम Jigar के घर जा रहे हैं, आना को भी ले जायेंगे. ग्रुप में अच्छा रहेगा. क्या कहती हो आना ? आयेगी ना ? दीदी : वहां दुसरे दोस्त भी आएंगे और ग्रुप चुदाई करेंगे. मजा आएगा. आना है ना ? मैं : मैंने कभी ऐसा कीया नहीं है. जीजू : कोई हर्ज नहीं. मन चाहे साथ चुदाई कर सकोगी, कोई रोकेगा नहीं, कोई जबरदस्ती नहीं. तेरी मरजी के खिलाफ तुजे कोई कुछ करेगा भी नहीं. मैं मन गयी, दुसरे दीन हम तीनो समय सर जीजू के दोस्त Jigar के बुन्ग्लोव पर जा पहुंचे. एक दूजे से मील कर सब बहुत खुश हुए. दीदी ने परिचय करवाया : ये है आना, मेरी मौसी की लडकी. Jigar : वाह, आइये - आइये आना, कैसी हो ? आपके जैसा हमारा भी एक नया मेहमान आया है. ये है अजय, मेरे चचेरे भाई. मुज़ से एक साल छोटे हैं. उधना में उन की plastic mouldings की फैक्ट्री है. शादी नहीं की है लेकीन कंवारे भी नहीं है. क्यों माला ? माला Jigar की पत्नी थी. बहुत खुबसुरत थी. हस्ती हुई वो बोली : सही. अजय : ये सब Bhabhi की कृपा है. अजय को देख मेरे बदन में ज़ुर्ज़ुरी फेल गयी. कीताना handsome आदमी था वो ? पहली नजर से ही मेरे दील में बस गया. मैं मन ही मन प्रार्थना कराने लगी की हे भगवान वो ही मुझे चोदे ऐसा करना. अजय मुस्कुलर आदमी थे. पांच फ़ीट सात इंच लम्बाई के साथ वजन होगा कुछ १७० ल्ब्स. रंग थोडा सा श्याम, भारव्दर चाहेरा और चौड़ा सीना, सपाट पेट और पतली क़मर. खम्भे जैसे हाथ पैर. Jigar ने बताया की अठारह साल की उमर में उसने अपनी एक नयी नवेली चची को चोदा था. उसके बाद तीन लड़कियों को चोद चुके थे लेकीन शादी के लीये कहीँ दील लगता नहीं था. उन्हें पतली लडकीयां पसंद नहीं थी, जरा सी भरी हुई, बडे बडे स्तन वाली, चौड़े और भरी नितम्ब वाली लडकी वो धुनधते थे. जब से हम आये तब से वो मुझे बेशरमी से घुर घुर कर देख रहे थे, मुझे भौत शरम आ रही थी. शाम का भोजन के बाद हम सब खास कमरे में गए. Jigar के बारे में दीदी ने मुझे बताया की वो काफी पैसेदार आदमी थे. सूरत शहर से बहार बडे प्लोत पर उसका बुन्गालोव था. उसने ग्रुप चुदाई के वास्ते एक अलग कमरा सजा रखा था. कमरे में सो बडे पलंग, बड़ी सेतीयां, सोफा, बाथरूम इत्यादी थे. दीवारों पर बडे - बडे अयिने लगे हुए थे जीसमें आप अपने आप को और दुसरे को चोदते देख सकते थे. ये सब देख कर मुझे गुदगुदी होने लगी थी. Jigar ने चम्पगने की बोत्त्ले खोल दी. शराब ने अपना कम कीया. सब का संकोच दूर होने लगा. कपडे उतर कर सबने night ड्रेस पहन लीये. Jigar बोले : वाह, आज तो नए मेहमान आये हैं. मजा आ जाएगा. अजय, आना, हम चारों एक दूजे के साथ की चुदाई के हामी हैं. एक मर्द के साथ दो औरत और एक औरत के साथ दो आदमी ऐसे भी चोदते हैं, कोई बन्धन नहीं रखते. तुम भी मन पसंद आदमी या औरात से चुदाई कर सकोगे. बदले में आशा है की दुसरा कोई तुमरे साथ चुदाई करे तो तुम कराने डोंगे, काबुल? अजय ने सर हील कर हां कही. मैं शरम से कुछ बोल ना सकी. दीदी ने कहा : आना ने अब तक दो orgasm ही पाये हैं. Jigar : कोई हर्ज नहीं, आज ज्यादा हो जायेंगे. एक लंड से नहीं होगा तो दुसरा करवायेगा. मैं चिट्ठी दल कर तय करता हूँ की कौन कीस के साथ पहले जुडता है. पहली चुदाई के बाद हम पर्त्नेर्स बदलेंगे. मंजूर? सब ने हां कही. Jigar ने चित्त्थी डाली. Jigar के साथ नीलू दीदी का नाम आया, जीजू के साथ माला का और अजय के साथ मेरा. मेरे दील की धड़कन बढ गयी. मेरी चूत ने पानी बहाना शुरू कर दीया. फ़िर मेरे पास और कोई चारा नहीं था सिवाय उसकी बात मानने के, मैंने चुप चाप सर हिला कर हाँ कह दी. उसने कहा- वाह मेरी बहना ! आज तो मजा आ जाएगा, आज तक बस ब्रा और पैंटी ही मिली थी. आज तो पूरी की पूरी रूबी मेरे सामने खड़ी है. फ़िर उसने मुझे उसका पायजामा नीचे करने को कहा, मैंने वैसा ही किया. वो अंडरवियर नहीं पहना था. मैं उसके लंड से पहले ही रुक गई, इसपर वो चिल्ला कर बोला, साली रुक क्यूँ गई, तेरे बॉस का लंड बहुत पसंद है तुझे, मेरा लंड नहीं लेगी क्या. चल उतर जल्दी से पायजामा मेरा, फ़िर मैंने उसका पूरा पायजामा उतार दिया अब वो पूरा नंगा लेटा था मुझे उसे देखने में शर्म आ रही थी. पर उसका तना हुआ लंड देख कर मैं भी थोडी गरम हो गई थी. वैसे तो उसका लण्ड मेरे बॉस के लण्ड से कम लंबा और मोटा था. उसने मुझसे कहा जल्दी से चूसना शुरू करो ना, फ़िर मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में लिया उसकी जांघों के बीच में बैठ गई और फ़िर उसका लण्ड अपने होठों पे रगड़ने लगी, अब मैंने भी सोच लिया था कि शरमाने से कोई फायदा नहीं है. आज मेरा भाई मुझे बिना चोदे मानने वाला नहीं है तो क्यूँ नहीं खुल के चुदवाऊँ इससे ताकि चुदने का भी मजा आए, मैं उसका लण्ड होठों पे रगड़ रही थी. फ़िर लोलीपोप की तरह मैं पहले बस उसका सुपाड़ा चूस रही थी. उसके सुपाड़े से पतली पतली रस निकल रही थी, मैं उसे लिपस्टिक की तरह होठों पे लगा रही थी। इतने में उसने भी अपने हाथों से मेरी गांड सहलाना शुरू किया, वो अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों गोलाईयां सहला रहा था, मुझे इतना मजा नहीं आ रहा था क्यूँकि वो नाईटी के ऊपर से मेरी गांड को सहला रहा था. मैंने फ़िर उसके बिना कुछ कहे अपनी नाईटी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी थी उसके सामने, इतने में उसने कहा- साली तूने तो न ब्रा ना पैंटी पहन रखी है, पूरी तैयारी में थी मुझसे चुदवाने की क्या. फ़िर मैंने कहा, तुझसे नहीं मेरे बॉस आ रहे है ना ! तो, फ़िर बिना कुछ कहे मैं उसका लण्ड चूसने लगी. वो मेरे सिर को पकड़ कर जोर - जोर से लण्ड में धक्का देने लगा. एक तरह से वो मेरा मुंह चोदने लगा, मैं बहुत गरम हो चुकी थी. मेरा मुंह पूरी तरह से चिपचिपा हो गया था उसके पतले रस से, फ़िर थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे स्तनों से खेलने लगा। वो उन्हें जोर - जोर से दबाने लगा। मुझे दर्द हो रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था। यह सोच कर ज्यादा मज़ा आने लगा कि मेरा सगा भाई मुझे चोदने वाला है. वाऽऽऽ ! अब भाई मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी चूसने लगा। वो मेरे चूचकों को जोर से काटने लगा. दर्द से मैं कराहने लगी, बीच - बीच में मैं चिल्ला भी पड़ती थी. मगर उसे कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था। उसने तो आज अपनी बहन की चूत फ़ाड़ने का सोच ही लिया था. वो मेरे निप्पल चबाने लगा, मैं मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह, मेरे मुंह से गंदे शब्द जो कि मैं मदहोश होने के बाद बोलती हूं अपने बॉस के साथ, निकलने लगे भाई के भी सामने ! मैंने कहना शुरू किया, आह अब चोदो ना राहुल, चोद दो मुझे अपनी बहन की प्यास बुझाओ, चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत. फ़िर वो धीरे - धीरे नीचे गया और मेरी चूत चाटने लगा उसकी ये अदा मुझे बहुत पसंद आई क्यूँकि मेरे बॉस ने अपना लण्ड मुझसे बहुत बार चुसवाया था मगर मेरी चूत चाटने से मना करते थे. वो बिल्कुल कुत्ते कि तरह पूरी जीभ बाहर निकाल कर मेरी चूत चाटने लगा. वो जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. मैंने कहा प्लीज़ राहुल मुझे अब लण्ड चाहिए तुम्हारा. अपना लण्ड डालो मेरी बुर में. उसने कहा बुर तो तेरी मैं जरुर चोदूंगा पहले बाकि सब का भी तो मजा ले लूँ. फ़िर उसने मुझे पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया. अब उसके सामने मेरी गांड थी. वो मेरी दोनों चूतडों को मसल रहा था और मैं इतनी उत्तेजित थी, कि अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाले जा रही थी. फ़िर उसने मेरे चूतडों को चाटना शुरू किया. कसम से मैंने बहुत बार चुदवाया बहुत बार ! हाय ! मगर इतना मजा मुझे पहली बार आ रहा था वो भी मेरे भाई से, मैं आह आह आ औच की आवाजें निकाले जा रही थी. वो पूरा मस्त होकर मेरी गांड चाटता जा रहा था. फ़िर उसने मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाली. मैं चिहुंक उठी, मैंने कहा क्या कर रहे हो राहुल, गांड मरोगे क्या मेरी ? ! ? ! उसने कहा – रूबी ! आज तो तेरे शरीर के हर छेद में अपना लण्ड डालूँगा मैं, तुझे चोद चोद के निढाल कर दूंगा. मैं खुशी से पागल हो रही थी. फ़िर थोडी देर बाद उसने मुझे उठाया और अपनी जाँघों पर बैठा दिया वो लेता हुआ था. मैं उसकी जाँघों पर बैठी थी वो मेरे बूब्स दबा रहा था. फ़िर उसने कहा – अब मेरा लण्ड पकड़ कर ख़ुद अपनी बुर में डालो. मैंने वैसा ही किया. मेरी बुर से बहुत पानी निकल चुका था इस वजह से मेरी बुर पूरी गीली थी और उसका लण्ड भी. मैंने उसका सुपाड़ा अपनी बुर पे रखा और फ़िर धीरे - धीरे उसपे बैठ गई. जिससे की उसका पूरा लण्ड मेरी बुर में घुस गया. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था. फ़िर मैं ख़ुद ऊपर नीचे करने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था की राहुल मुझे नहीं मैं राहुल को चोद रही हूँ. मैंने हिलना तेज किया. वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल - उछाल कर मुझे चोद रहा था. थोडी देर तक इस पोसिशन में चोदने के बाद उसने कहा – अब तुम नीचे आओ, मैं बेड पे लेट गई. वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पे रख दिया इससे मेरी बुर उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी. फ़िर उसने मेरी बुर पे अपना लण्ड लगाया और एक ही झटके में जोर से पूरा अंदर डाल दिया. मैं लगातार सीत्कार कर रही थी आह ..ऊंह ह्ह्ह ह...ओह ह हह कम ऑन राहुल....फक मी....चोदो....आह ह हह ह्ह्ह...और जोर से चोदो...अ आ आया अह हह हह... उसकी स्पीड बढती जा रही थी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मेरी बुर से सर - सर करता हुआ सारा पानी बाहर आ गया. राहुल रुकने का नाम नहीं ले रहा था. मेरी बुर के पानी की वजह से उसके हर धक्के से कमरे में फत्च फच की आवाज़ आने लगी. वो मेरी बुर पेलता ही जा रहा था. मैं भी उसका साथ दे रही थी. मैं उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर धक्के लगा रही थी अपनी तरफ़. फ़िर मैंने उसे कहा – राहुल अपना रस अंदर मत गिराना, नहीं तो तुम मामा और पापा दोनों बन जाओगे इस पे वो हँस पड़ा और अपनी स्पीड और बढ़ा दी. अब वो गिरने वाला था. वो मेरी बुर, जो कि चुदा - चुदा कर पूरी भोंसड़ा बन गई थी, उससे लंड बाहर निकाला और मुझसे कहा कि अपने दोनों बूब्स को साइड से दबा कर रखने को। फ़िर मेरे दोनों बूब्स के बीच उसने अपना लंड डाल कर मेरी पेलाई शुरू कर दी थोडी देर ऐसे ही वो मुझे पेलता रहा उसके बाद उसके लंड से फच फचा कर सारा रस निकल गया जो कि मेरे पूरे मुंह में और चूचियों पे गिरा. मैं अपनी जीभ से और होठों से उसका रस चाट रही थी. फ़िर उसने अपना लंड ही मेरे मुंह में दे दिया मैंने उसका लंड थोड़ी देर चूसा. मुझे ऐसा लगने लगा कि वो फ़िर से उत्तेजित हो रहा है. क्यूंकि वो मुंह के ही अंदर धक्के लगाने लगा. इतने में दरवाजे की घंटी बजी, टिंग टोंग ! वो उठ गया मैं भी उठ गई वो बोला मैं देख कर आता हूँ. उसने बिना दरवाजा खोले आई-होल से देखा तो मेरे बॉस बाहर खड़े थे. वो समझ गया की ये भी यहाँ रूबी को पेलने आए हैं. फ़िर उसने आकर मुझ से कहा- तेरे बॉस हैं. फ़िर आगे कैसे मेरे बॉस ने मुझे चोदा और राहुल ने कैसे उनका साथ दिया. कैसे मेरा अगली तरक्की हुई अगले महीने में और राहुल ने कैसे मेरी बुर का सौदा कर के तरक्की ली पढ़िये अगले हिस्से में.