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गुरुवार, 15 मार्च 2012

बीवीजी की चुदाई

मैं पंजाब के फ़रीदकोट जिले का रहने वाला हूँ, पहले मैं कार ड्राइवर था, तथा एक बुजुर्ग दंपति के यहाँ नौकरी करता था ! एक बार उनकी विधवा बहू घर आई हुई थी, उस दिन घर में कोई और नौकर नहीं आया तो मुझको बड़ी बीबी ने छोटी बीबी के साथ ऊपर उसके कमरे में सफाई में हाथ बंटाने को कहा। मैं छत पर गया और जब छोटी बीबी के कमरे की तरफ गया तो देखा कि वो झुक कर कमरे में खुद ही झाड़ू लगा रही थी ! मैं तो उसके ब्लाऊज में से बाहर आने को उतारू हो रहे उसके दूधीया बूब्स देखकर दंग रह गया और उनकी तरफ़ ही देखता रह गया। अचानक छोटी बीबी जो करीब तीस साल की होगी, मुझे यू घूरता देख बोली- तुम आ गये ! तो मैं एकदम घबराहट में बोला- हाँ जी ! मुझे बड़ी बीबी जी ने आपके साथ काम में हाथ बटाने को कहा है !
हालाँकि उसने मुझे अपने बूब्स को घूरते हुए देख लिया था वो पर नज़रअंदाज कर मुस्करा भर दी और झुकी हुई ही बोली- तो आओ ना ! मैंने काम पूछा तो उसने कहा- तुम पहले छत से जाले उतार लो, जब मैं आगे बढ़ने लगा तो उसने मेज़ पकड़ते हुए उस पर चढ़ने को कहा, यही नहीं वो मेज़ को छोड़ धीरे से मेरे पाँव को पकड़ने लगी, धीरे धीरे उसका हाथ आगे बढ़ कर जब मेरी लंड तक पहुँच गया जो पहले ही पैन्ट फाड़ने को तैयार था! वो बोली- ये क्या है? मैं घबरा गया और कहा- कुछ नहीं बीबी जी यूँ ही ! तो वो बोली- कोई बात नहीं इसका इलाज है मेरे पास ! और मुझे नीचे उतार कर मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकल कर बोली- हाय कितने अरसे बाद मौका मिला है ! और दोस्तो मुझे उसने इतना मज़ा दिया जो मैं कभी नहीं भूल सकूँगा ! लेकिन वो जल्दी ही वापिस दिल्ली चली गयी और अब तो मैने भी वो नौकरी छोड़ दी है! अब मुझे उसकी बहुत याद आती है और मैं उसके जैसी ही किसी साथी की तलाश में हूँ जिसकी प्यास बुझाऊँ और मेरी भी प्यास बुझ जाए।

जब दो सालियों को एक रात में ही चोदा


बात उस समय की है जब मेरी शादी को 2 साल हो गए थे और मेरी बीबी को पहला बच्चा हुआ था. वो उस समय अपने मायके कानपुर में ही थी. मै इलाहाबाद में पोस्टेड था. जब काफी दिन हो गए तो मै अपने आफिस से छुट्टी ले कर अपने ससुराल गया ताकि बीबी और बच्चे से मिल आऊं. अभी मेरी बीबी का इलाहाबाद आने का कोई प्रोग्राम नहीं था. क्योंकि इस समय दिसंबर का महीना चल रहा था और जाड़ा काफी अधिक पड़ रही थी. जब मै अपने ससुराल गया तो मेरी खूब खातिरदारी हुई. मेरे ससुराल में मेरे ससुर, सास, 1 साला और 2 सालियाँ थी. मेरे साले की हाल ही में नौकरी हुई थी. और वो दिल्ली में पोस्टेड था. ससुरजी भी अच्छे सरकारी नौकरी में थे. 2 साल में रिटायर होने वाले थे. लेकिन अधिकतर बीमार ही रहा करते थे. मेरी सालियाँ बड़ी मस्त थीं. दोनों ही मेरी पत्नी से छोटी थीं. मेरी पत्नी से ठीक छोटी वाली का नाम मोनिका था. वो 23 साल की थी. उस से छोटी अन्नू की उम्र 21 साल की थी. दोनों ही स्नातक कर चुकी थी. यूँ तो दोनों दिन भर मेरे से चुहलबाजी करती रहती थी लेकिन कभी बात आगे नही बढी थी. मैंने भी मोनिका की एक – दो बार चूची दबा दी थी. लेकिन वो हंस कर भाग जाती थी. खैर मेरी बीबी नेहा खुद भी काफी सुन्दर थी. इसलिए कभी कोई ऐसी वैसी बात होने कि नौबत नही आई. इस बार मै ज्यों ही अपने ससुराल पहुंचा तो वहां एक अजब समस्या आन पड़ी थी. दोनों ही सालियों ने बी.एड करने का फॉर्म भरा था और दोनों की ही परीक्षा लखनऊ में होनी थी. परीक्षा पुरे एक सप्ताह की थी. समस्या ये थी कि इन दोनों के साथ जाने वाला कोई था ही नहीं. क्योंकि मेरे साले कि अभी-अभी नौकरी लगी थी और वो दिल्ली में था. मेरे ससुरजी को जोड़ों के दर्द ने इस तरह से जकड रखा था कि वो ज्यादा चल फिर नहीं पा रहे थे. सास का तो उनको छोड़ कर कहीं जाने का सवाल ही पैदा नही होता था. मेरी दोनों सालियाँ तो अकेले ही जाने के लिए तैयार थी, लेकिन जमाने को देखते हुए मेरे ससुरजी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे. इस कारण मेरी दोनों सालियाँ काफी उदास हो गयी थी. मुझे लगा कि यूँ तो मै 15 दिनों की छुट्टी ले कर आया हूँ और यहाँ 3 दिन में ही बोर हो गया हूँ क्यूँ ना मै ही चला जाऊं, लेकिन ससुरजी क्या सोचेंगे ये सोच कर मै खामोश था. अचानक मेरी सास ने मेरे ससुर को कहा कि क्यों नहीं दामाद जी को इन दोनों लड़कियों के साथ भेज दिया जाये. ससुरजी को भी इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आई. उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने थोड़ी टालमटोल करने के बाद लखनऊ जाने के लियी हाँ कर दी. और उसी दिन शाम को ट्रेन पकड़ कर लखनऊ के लिए रवाना हो गए. अगले दिन सुबह लखनऊ पहुँच कर एक होटल में रुके. होटल में मैंने दो रूम बुक किये. एक डबल रूम , दोनों सालियों के लिए तथा एक सिंगल रूम अपने लिए. हम लोगों ने नास्ता पानी किया और मैंने उन दोनों को उनके परीक्षा सेंटर पर पहुंचा दिया. हर दुसरे दिन एक परीक्षा होनी थी. 12 बजे से 2 बजे तक. उसके बाद दो दिन आराम. दोनों परीक्षा दे कर वापस होटल आने के क्रम में भोजन किया. मैंने दोनों से परीक्षा के बारे में पूछा तो दोनों ने बताया कि परीक्षा काफी अच्छी गयी है. खाना खाने के बाद हम लोग होटल चले आये. वो दोनों अपने कमरे में गयी तथा मै अपने कमरे में जा कर आराम करने लगा. करीब 5 बजे मुझे लगा कि उन लोगों को कहीं घुमने जाना है क्या? ये सोच कर मै उनके रूम में गया. रूम का दरवाज़ा मोनिका ने खोला. रूम में अन्नू नजर नही आयी. मैंने मोनिका से पूछा- अन्नू कहाँ है? वो बोली- बाथरूम गयी है. मैंने कहा–ओह. मैंने देखा कि मोनिका सिर्फ एक नाइटी पहने हुए है. उसके चूची साफ़ साफ़ आभास दे रही है. उसके चूची के निपल तक का पता चल रहा था. मैंने सीधे बिना किसी शर्म के ही धीरे से कहा- क्या बात है ? ब्रा नही पहनी हो? उसने कहा – यहाँ कौन है जिस से अपनी चूची को छिपाना है? सुन कर मै दंग रह गया, और कहा – क्यों , मै नहीं हूँ? वो बोली- आप से क्या शर्माना? आप तो अपने आदमी हैं. मै कहा- ठीक से छूने भी नहीं देती हो और कहती हो कि आप अपने आदमी हैं. उसने कहा – इसमें कुछ ख़ास थोड़े है जो आपको छूने नहीं दूंगी. आप छू कर देखिये. मै मना नहीं करूंगी. मैंने धीरे से उसे पीछे से पकड़ा और अपने हाथ मोनिका के एक चूची पर रख दिया. उसने सचमुच कुछ नहीं कहा और ना ही किसी प्रकार का प्रतिरोध किया. मै उसकी चूची को जोर जोर से दबाने लगा. उसे भी मज़ा आने लगा. जब मैंने देखा कि उसको भी मज़ा आ रहा है तो मेरा मन थोडा और बढ़ गया. और मैंने अपना हाथ उसके नाइटी के अन्दर डाला और उसके चूची को पकड़ लिया. उफ़ क्या मखमली चूची थी मोनिका की. मैंने तो कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरी साली इतनी सेक्सी हो सकती है. मै कस के उसकी चूची दबा रहा था. वो आँख बंद कर अपने चूची के मर्दन का आनंद ले रही थी. मेरा लंड तन गया. मैंने धीरे से कहा- ए, जरा नाईटी खोल के दिखा ना. मोनिका ने कहा- खुद ही खोल कर देख लीजिये ना. मैंने उसकी नाईटी को अचानक सरका दिया और उसकी चुचियों के नीचे लेते आया. ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त चूची थी. मैंने दोनों हाथों से उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. वो सिर्फ आँखे बंद कर के मज़े ले रही थी. उसने धीरे से कहा – जीजाजी, इसे चूसिये ना. मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी चूची को चूसने लगा. ऐसा लग रहा था मानो शहद की चासनी चूस रहा हूँ. मेरा लंड एकदम उफान पर था. उसने मेरे लंड पर हाथ लगा दिया. मेरा लंड पैंट के अन्दर ही अन्दर गीला हो गया था. मै अब उसके बदन से समूचा कपडे उतार देना चाह रहा था तभी अचानक बाथरूम से फ्लश की आवाज आयी. मै समझ गया कि अन्नू आने वाली है. मैंने झट से उसके चूची पर से अपना मुंह हटाया और अलग हट गया. उसने भी अपने अस्त व्यस्त कपडे को ठीक किया. तभी अन्नू वहां आ गयी. वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- आप कब आये? मैंने कहा -अभी थोड़ी देर पहले. थोड़ी देर इधर उधर की बातें कर के मै अपने रूम में चला आया. मुझे अभी भी मोनिका के मखमली चूची का स्पर्श महसूस हो रहा था. मै रात के खाने का आर्डर रूम में ही दे दिया. हम सभी का खाना मोनिका के कमरे में ही लगा दिया. मै मोनिका और अन्नू के साथ चुप चाप खा रहा था. मै और मोनिका चुपचाप थे लेकिन अन्नू हमार्री हालात से अनजान थी और इधर उधर की बातें कर रही थी. मै सिर्फ हाँ -हाँ कर रहा था. खाना ख़तम होने के बाद अन्नू ज्यों ही हाथ धोने बाथरूम गयी मैंने झट से मोनिका के कान में कहा–रात को मेरे कमरे में आओगी? मोनिका ने कहा – नहीं. मैंने कहा – क्यों? वो बोली- मै कहीं नहीं जाओंगी. आप ही चले आना. दो बजे रात को. मुझे इधर उधर जाते हुए कोई देख लेगा तो लोग क्या कहेंगे.मैंने कहाँ – ठीक है. मै ही चला आऊँगा. रात के दो बजे मैंने मोनिका के मोबाइल पर मिस काल मारा. उसने मुझे काल किया. मैंने पूछा–अन्नू सो गयी? वो बोली–हाँ. आप आ जाईये. मै चुपके से उसके कमरे के बाहर चला गया. और धीरे से दरवाज़ा खटखटाया. मोनिका ने दरवाज़ा खोला. मै अन्दर आकर दरवाज़े को बंद किया. और बिना लाईट ऑन किये ही मोनिका को ले कर उसके बिस्तर पर चला गया. वो कुछ नही बोल रही थी. मैंने उसकी नाइटी को खोल कर उसकी चूची को दबाने लगा. बगल के बिस्तर पर ही अन्नू सोई थी. मैं मोनिका के ओठों को अपने ओठ में लिया और चूसने लगा. उसके ओठ भी एक दम रसीले थे. अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपने कपडे खोले और अपना लंड मोनिका के हाथ में दे दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड 6 इंच का था. उसे मेरे लंड से खेलने में काफी मज़ा आ रहा था. मै उसकी चूची से खेल रहा था. मैंने मोनिका को उसके बिस्तर पर लिटाया. और उसके चूत को छूने लगा. उसकी चूत एक दम गीला हो रही था मानो मेरे लंड को आमंत्रण दे रही हो. मै उसके नंगे मखमली बदन पर लेट कर उसके हर अंग को चाटने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने उसके बुर को चाटना चालु किया तो वो सिसकारी भरने लगी. मुझे डर था कि कहीं उसकी सिसकारी सुन कर अन्नू जग ना जाए. लेकिन मै उसके बुर के रस को छोड़ भी नहीं पा रहा था. इतना नरम और रसीला बुर था मानो लग रहा था कि लीची को उसका छिलका उतार कर सिर्फ उसे चाट रहा हूँ. उसके बुर ने पानी छोड़ दिया. मै उसके बुर को छोड़ फिर उसके चूची को अपने सीने से दबाया और उसके कान में धीरे से पूछा- अपनी चूत चुदवाओगी? मोनिका ने धीरे कहा- हाँ. मैंने कहाँ – ठीक है. मैंने उसके दोनों टांगो को अलग किया और चूत के छेद का मुआयना किया. उसमे उंगली डाल कर उसे फैलाया फिर अपना लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और और धीरे धीरे लंड को उसके चूत में घुसाना चालु कर दिया. ज्यों ही मैंने लंड डाला वो चीख पड़ी- आ…..यी….आह… उसका चूत एकदम नया था. मैंने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में धक्के मारना शुरू किया. मेरा लंड उसके चूत के गहराई में गया तो वो पूरी तरह चीख पड़ी-आ…..ह… हमें अहसास ही नहीं हुआ कि उसकी चीख सुन कर अन्नू जाग गयी. वो अपने बिस्तर से दीदी के बिस्तर की तरफ छुप के देख रही थी. मैंने मोनिका को चोदना चालू किया. थोड़ी देर में ही उसे आनंद आने लगा. अब वो आराम से बिना किसी शर्म के जोर जोर से बोलने लगी- आह जीजा जी. हाय जीजाजी. जरा धीरे धीरे चोदिये ना. आय हाय कितना मज़ा आ रहा है. उसने अचानक अपने बगल के बल्ब का स्विच ऑन कर दिया. इससे कमरे में पूरी तरह से रौशनी हो गयी. मैंने कहा – बत्ती क्यों जलायी हो? मोनिका ने कहा – इस कमरे में किससे शर्म? अँधेरे में मज़ा नही आ रहा था. रोशनी में चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. मैंने कहा- अन्नू देख लेगी तो? मोनिका ने सिसकारी भरते हुए कहा- देख लेने दीजिये ना. जीजाजी से ही ना चुदवा रही हूँ किसी पड़ोसी से तो नही न? आआअ….ह्ह्ह्ह….वो साली ही क्या जिसने अपने जीजा के मज़े ना लूटे हों. सुन के मुझे उसके हिम्मत पर ख़ुशी हुई और आराम से उसके अंग अंग को देखते हुए चोदने लगा. वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगी- हाय…आआअह्ह्ह्ह…..ओह्ह माँ, ओह जीजू, हाय रे आःह्ह्ह……..मै उसकी नंगे बदन पर लेट कर उसकी चुदाई कर रहा था. मैंने चुदाई करते समय अन्नू कि तरफ देखा कि कहीं ये देख तो नहीं रही? मुझे लग गया कि वो जग गयी है और रजाई के अन्दर से ही अपनी दीदी की चुदाई देख रही है. मैंने मोनिका की चुदाई करते हुए उसके कान में धीरे से कहा– लगता है कि अन्नू ने हमें देख लिया है. मोनिका ने बिना किसी परवाह किये कहा–उसकी परवाह मत करो मेरे जीजू.पहले मुझे चोदो मेरे प्यारे जीजू. मै उसे चोदता रहा. थोड़ी देर में मोनिका के चूत से पानी निकलने लगा. मेरे लंड ने भी पानी छोड़ देने का सिग्नल दे दिया. मैंने मोनिका से कहा–बोल कहाँ गिरा दूँ माल? वो बोली- मेरे मुह में. मैंने अपने लंड को उसके चूत से निकाला और अभी उसके मुह में भी नही डाला था कि मेरे लंड ने माल छोड़ना चालु कर दिया. इस वजह से मेरे लंड का आधा माल उसके मुह में और आधा माल उसके गाल और चूची पर गिर गया. फिर भी वो प्यासी कुतिया की तरह मेरा लंड चूसती रही. मुझे काफी मज़ा आ रहा था. लेकिन मैंने गौर किया कि अन्नू भी काफी अंगडाई ले रही थी. इसका मतलब कि उसने सब कुछ देख लिया था. अगर उसने घर पर ये सब बता दिया तो? मैंने मोनिका के कान में कहा- मोनिका, अन्नू ने तेरी चुदाई देख ली है. अब वो घर में जरूर कहेगी. असे कैसे रोकूँ? मोनिका बोली- इसे रोकने का एक ही उपाय ये है कि इसे भी चोद दीजिये. अंधा मांगे एक आँख यहाँ तो पूरा दो आँख का उपाय हो गया. मै मोनिका के बेड से उठा और अन्नू के बेड पर गया और उसकी रजाई में घुस गया. वो जगी हुई थी लेकिन सोने का नाटक कर रही थी. मै नंगा ही उसके रजाई में घुस गया और उसकी चूची को छूने लगा. मुझे पता था कि ये लड़की अभी गरम है. इसे काबू में करना कोई मुश्किल काम नहीं है. मै उसी चूची को दबाने लगा. वो कुछ नहीं बोल रही थी. मैंने एक हाथ उसके नाइटी के अन्दर डाला और सीधे उसकी चूत पर हाथ ले गया. ओह उसकी चूत तो बिलकूल गीली थी. मैंने अब कोई तकल्लुफ नहीं किया और सीधे उसके नाइटी को उठा कर पूरी तरह खोल दिया. अब वो पूरी तरह से नंगी और मेरी गिरफ्त में थी. मै उसके होठों को बेतहाशा चूमने लगा. अब वो भी मुझे जोरदार तरीके से मेरे होठों को चूमने लगी. अब वो जग चुकी थी या यूँ कहें कि अब मेरा साथ देने लगी थी. वो भी दीदी कि चुदाई देख कर मस्त हो चुकी थी. उसकी चूची तो मोनिका कि चूची से भी नरम थी. उसने एक झटके में रजाई हटा दी. अब हम दोनों आज़ाद थे. कमरे की बत्ती में सब कुछ दिख रहा था. आखिर उसकी चूत का भी मैंने उद्धार किया और उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया. वो भी थोड़ी चीखी लेकिन जल्दी ही अपने आप पर काबू पा ली. उसकी जम कर चुदाई के बाद मेरे लंड से भरपूर माल निकला जो कि उसके चूत में ही समा गया. तब मोनिका भी उसी बेड पर आ गयी और अन्नू की चूची को दबा कर बोली- क्यों मज़ा आया ना? अन्नू ने कहा- हाँ दीदी. एक बार फिर करो ना जीजू. मोनिका ने कहा- नहीं पहले मेरी चूत में भी रस डालिए तब अन्नू की बारी. इस प्रकार मोनिका के चूत की दोबारा चुदाई की तथा उसके चूत में ही रस गिराया. मोनिका तो थक कर सो गयी लेकिन अब अन्नू कहने लगी मेरी मुंह में भी रस पिलाईये जैसे दीदी को पिलाया था. और मेरी भी चूत चूसिये जैसे आपने दीदी की चुसी थी. मेरी तो अब हिम्मत नहीं हो रही थी.. मैंने कहा- अन्नू, ये मेरा लंड आपके हवाले है. आप इसे चूस कर इस से रस निकाल लीजिये. अन्नू बोली – ठीक है. मै बिस्तर पर लेट गया. अन्नू मेरे बदन पर इस तरह से लेट गयी कि उसकी चूत मेरी मुह के ऊपर और वो मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. वो मेरे लंड को चूसने लगी और मै उधर उसके चूत को चूस रहा था. जवान लड़कियों में रस की कमी नही रहती. उसके चूत से लगातार रस निकल रहा था. सचमुच अद्भुत स्वाद था. उधर मेरा लंड फिर तनतना गया. उसके चूसने का अंदाजा भी निराला था. थोड़ी देर में ही मेरे लंड ने चौथी बार क्रीम निकाल दी जो कि अन्नू ने बड़े ही चटखारे ले ले कर पिया.उसके चूत से भी फाइनली रस निकल गया जो सचमुच किसी जूस से कम नहीं था. उसके बाद मै भी अन्नू के साथ ही उसी के बिस्तर पर ही सो गया. इसके बाद हम तीनो में कोई पर्दा नहीं रह गया. शेष सातों दिन हम तीनो ने साथ मिल कर चुदाई का खेल खेला.

ग्राहक की बीवी-2


फार्म-हाउस पहुँच कर मैंने नौकर को बढ़िया खाना बनाने के लिए बोला। मैं नीलम और राजू सोफे पर जाकर बैठे। तीन ग्लास में व्हिस्की डाली और जबरदस्ती नीलम और राजू को पीने के लिए दी। राजू बोला- मैं बाहर अलग बैठ जाता हूँ। मैं- राजू यहीं बैठो हमारे साथ ! और एकदम निश्चिंत होकर तुम भी मज़े लो यार। आज तक मैंने बलात्कार नहीं किया है, जिसको भी चोदा है बड़े प्यार से, आराम से चोदा है। अगर नखरे करने हों तो तुम दोनों जा सकते हो। वरना नीलम रानी ! जैसे राजू से चुदवाती हो वैसे ही आज मुझे भी अपना पति समझ कर चुदवाओ। राजू देखो आज मैं तुम्हें तुम्हारी बीबी को नए अंदाज़ में दिखाऊंगा, आज तक तुमने भी नीलम जान को इस तरह नहीं देखा होगा। राजू चुप रहा, मैं उसके सामने ही उसकी बीबी को चोदने वाला जो था। नीलम रानी, जरा कैबरे डांस करके एक एक कपड़ा उतार कर अपनी जवानी हमें भी दिखा दो। काफी देर से तड़फा रही हो ! मैंने एक सेक्सी गाना लगाया और कहा- नीलम, शुरु हो जाओ। नीलम ने डांस चालू किया पर कपड़े नहीं उतारे। मैंने राजू को कहा- राजू, अब तुम नीलम का टॉप निकालो और मेरी तरफ फेंको ! अभी इसकी शर्म ख़त्म नहीं हुई है। राजू उठा और नीलम के पास जाकर उसका टॉप निकला और मेरी तरफ फेंक दिया। मैं उसके टॉप को चूमने लगा। उसके शरीर की नशीली सुगंध उसके टॉप से आ रही थी। फिर मैंने राजू को नीलम की कैपरी उतारने को कहा और उसको भी सूंघ कर नीलम से कहा- जियो मेरी नीलम जान ! मज़ा आ गया ! मुझे अचानक एक फिल्म का सीन याद आ गया। नीलम सिर्फ ब्रा और चड्डी में थी, मैंने राजू को कहा- अब तुम बैठ जाओ। नीलम, तुम अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर पूरे हॉल का एक चक्कर लगाओ। जैसे ही नीलम मेरे पास आई और आगे बढ़ी मैंने पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा को हाथ में लेकर सूंघने और चूमने लगा। फिर मैंने ब्रा राजू की तरफ फेंक दी और कहा- सूंघो और चूम कर देखो। आज तक तुमने कभी अपनी बीबी की ब्रा नहीं सूंघी और चूमी होगी। बोलो- चूमी है क्या ? राजू ने नहीं में गर्दन हिलाई। नीलम वहीं खड़ी थी और मुझ से रुका नहीं गया। मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाया और एक झटके में चड्डी नीचे खींच कर निकाल दी। अब नीलम पूरी नंगी हो गई थी। वाह ! क्या बला की खूबसूरत संगमरमर की मूर्ति है। उसके पूरे शरीर पर बाल नहीं थे और चूत पर बालों का बड़ा सा गुच्छा बड़ा मादक लग रहा था। नीलम की पूरी काया एक दम गोरी रुई की तरह मुलायम, हाथ लगाओ तो मैली हो जाये। मैंने राजू से कहा- तुम इसकी चूचियों पर व्हिस्की डालो और मैं पिऊंगा। राजू मरता क्या न करता ! एक चम्मच से व्हिस्की डाल रहा था और मैं पी रहा था। और धीरे धीरे उसकी चूचियों को चूस रहा था। जरा जोर से चूची पर दांत लगाने से नीलम कसमसा पड़ी, बोली- प्लीज ! धीरे धीरे कीजिये न ! दर्द हो रहा है। मैंने पूछा- कहाँ दर्द हो रहा है? वो चुप रही। मैंने फिर उसकी चूची को काटा और कहा- भोंसड़ी की ! जब तक नहीं बोलोगी, काटता रहूँगा। नीलम बोली- मेरी चूची में आपके काटने से दर्द हो रहा है। फिर नीलम की चूत पर व्हिस्की डालने को कहा। अब राजू चम्मच से व्हिस्की नीलम की चूत में डाल रहा था और मैं उसकी चूत के पानी के साथ मिली हुई व्हिस्की का आनंद ले रहा था। दोस्तों कभी आजमा कर देखना एक दम सोमरस जैसा मज़ा आएगा। और मैंने उसकी चूत के पट को भी मुँह में ले कर चूसते चूसते काट लिया। नीलम फिर बोली- दर्द हो रहा है। मैंने पूछा- कहाँ ? और जब तक नहीं बोलोगी काटता रहूँगा, खा जाऊंगा तेरी माँ की चूत को ! नीलम बोली- मेरी चूत में दर्द हो रहा है ! प्लीज, धीरे धीरे चाट लो ! मैं जानबूझ कर उसकी शर्म ख़त्म करने के लिए उससे चूत, चूची लंड सब बुलवा रहा था। हाँ ! मैं एक बात बताना भूल गया कि मेरे फार्म हाउस में हर जगह मैंने छुपे कैमरे लगा रखे थे। मैं बाद में एडिट करके लड़कियों की ब्लू फिल्म दिखा कर कई बार चोदने के लिए बुला सकता था। मैं बोला- राजू, अब तुम इसकी चूत चाटो ! राजू नीलम की चूत चाटने लगा। मैं बोला- यह तो बड़ी नाइंसाफी है, एक लड़की पूरी नंगी है और दो मर्दों ने अभी तक अपने कपड़े नहीं निकाले हैं। नीलम बेचारी को शर्म तो आएगी ही न ! नीलम तुम मेरे पास आओ और मेरे कपड़े निकालो। लेकिन नीलम खड़ी रही। मैंने गुस्से से कहा- मादरचोद ! ऐसे नखरे चोद रही है जैसे आज तक किसी मर्द को नंगा नहीं किया हो? क्यों बे राजू, तूने आज तक नीलम को चोदा नहीं है क्या? क्या यह शादी के बाद भी सीलबन्द माल है? बहनचोद ! चल निकाल मेरे कपडे ! और वो मेरे गुस्से से डर गई और मेरे पास आ कर मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी पैंट उतार कर रुक गई। मैं चिल्लाया- तेरी गांड में कुत्ते का डालूँ साली ! मेरी चड्डी क्या तेरी बहन आकर निकालेगी? हाँ, याद आया ! नीलम, तेरी एक कुंवारी बहन भी है ना ? बड़ी जोर की कड़क माल है। क्यों बे राजू, क्या नाम है तेरी साली का ? राजू बोला- उसका नाम मंजू है, लेकिन उससे क्या लेना देना ? मैं बोला- अच्छा जी ! अकेले-अकेले साली को चोदेगा? चलो मंजू को बाद में चोदेंगे, आज तो नीलम की चूत मज़ा लें ! नीलम, चलो अच्छी बच्ची की तरह मेरी चड्डी निकालो ! नीलम ने मेरी चड्डी निकाली। मेरा 10 इंच का पूरा खड़ा कड़क लंड देख कर नीलम के मुँह से चीख निकल गई। क्या हुआ नीलम रानी? डर गई क्या? चल अब राजू के भी कपड़े निकाल ! राजू जब नंगा हुआ तो देखा उसका लंड बड़ा छोटा सा था, इसीलिए नीलम ने जब मेरा लंड देखा तो चीख पड़ी। क्या नीलम ! इतने छोटे लंड से तुझे क्या मज़ा मिलता होगा? और मैंने नीलम के बाल कस कर पकड़ कर खींचे, उसका मुँह खुला और मैंने उसके मुँह में लंड घुसेड़ दिया और उसके मुँह को चोदने लगा। नीलम जरा तुम भी साथ दो और अपने मुँह से लंड चूसो ! नीलम धीरे धीरे मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा। काट साली लंड को ! धीरे धीरे काट और मज़े से लंड चूस ! आज तुझे असली लंड से चुदाई का मज़ा मिलेगा ! आज के बाद तू खुद भागी-भागी आएगी, अशोक जी मुझे चोदो ! और अब तू मस्ती में आ जा मज़ा ले और मज़ा दे ! नीलम, और जल्दी आगे पीछे कर के चूस लौड़े को ! सुपारे की खाल को अपने मुँह से आगे पीछे करके चूस और अब गोलियाँ भी मुँह में ले ले ! ये गोलियां बेचारी न चूत और न गांड का मज़ा ले सकती हैं कम से कम इनको मुँह में लेकर तो चूस नीलम ! आह चूस ! और चूस ! बस मेरा निकलने वाला है ! और मैंने पूरा लंड उसके गले तक घुसेड़ दिया और अपने रस की पिचकारी नीलम के मुँह में छोड़ दी और जब तक नीलम ने पूरा रस पी नहीं लिया मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला। फिर लंड बाहर निकाल कर नीलम को कहा- अब जीभ से मेरे पूरे लंड को साफ कर ! और उसने लंड पर लगे वीर्य-रस को चाटा। फिर मैं सोफे पर बैठ गया और नीलम को अपनी गोद में बिठाया। गोद में बिठा कर उसको खूब प्यार किया, राजू को बोला- जाओ नौकर से बोलो कि खाना लगा दे ! और सुनो, नंगे ही जाना ! दो दिन तक यहाँ कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा, सब नंगे ही रहेंगे। राजू नौकर के पास गया तब मैंने नीलम का मुँह हाथ में लेकर उसे प्यार करते हुए पूछा- नीलम, सच बताना ! तुम्हें मेरा लंड कैसा लगा और यही पूछने के लिए मैंने राजू को थोड़ी देर के लिए बाहर भेजा है। नीलम भी अब नशे में थी और मेरे लम्बे लंड का सरूर और राजू नहीं था तो उसने पहली बार मुझे चूम लिया और बोली- आपके लंड जितना लम्बा मोटा लंड तो भाग्यवान चूत को ही मिलता है ! लेकिन राजू के सामने मैं कैसे प्यार करूँ? आप कमरे में अकले मुझे चोदो ! बड़ा मज़ा आयेगा ! मैं बोला- नहीं ! राजू तो सामने ही रहेगा, और तुम देखना थोड़ी देर बाद अपने आप मज़े से चुदवाओगी, राजू की भी शर्म नहीं करोगी। यह मेरा दावा है। मुझे अपने लंड पर इतना भरोसा है। नीलम मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने-काटने लगी। मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ को प्यार करने लगा। दोनों आलिंगन में चिपटे हुए एक दूसरे के शरीर में समाने की कोशिश कर रहे थे। राजू आया तो नीलम ने प्यार करना बंद कर दिया और यह जताने लगी कि जैसे मैं ही उसे प्यार कर रहा था, वो मज़बूरी में मेरी गोद में बैठी थी। नौकर खाना ले कर आया और वो तिरछी आँखों से नीलम के शरीर का मज़ा ले रहा था। मैंने उसको सोफे के समाने की मेज़ पर ही खाना लगाने को कहा। उसकी नज़र लगातार नीलम पर ही थी, वो ललचाई नज़रों से नीलम को मन ही मन चोद रहा था। पैंट में लंड उसका खड़ा हुआ साफ नज़र आ रहा था, मैं बोला- रामू, चुपचाप खाना लगा ! यह कोई रंडी नहीं है, राजू की बीबी है, यह तुझे चोदने को नहीं मिलेगी। अगर लौड़े में इतनी ही खुजली हो रही हो तो किसी रंडी को बुला कर चोद ले। इस प्राइवेट माल का सिर्फ में ही इस्तेमाल करूँगा। नौकर चला गया। मैंने नीलम को कहा- जब भी मैं यहाँ रंडी लाकर चोदता हूँ तब मुझे इस नौकर को भी रंडी चोदने के लिए देनी पड़ती है।नहीं तो यह मेरी बीबी को बोल देगा, इसका डर रहता है। लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें नौकर से नहीं चुदवाऊंगा। फिर हमने व्हिस्की के ग्लास भरे और मैंने नीलम को अपनी गोद में ही बिठा कर रखा। अपने ग्लास से उसे व्हिस्की पिलाई फिर उसको कहा कि वो अपने ग्लास से मुझे व्हिस्की पिलाये। उसने मेरी गर्दन के पीछे एक हाथ डाल कर पकड़ा और दूसरे हाथ से मुझे व्हिस्की पिलाई। व्हिस्की पिलाते समय उसकी मोटी मोटी कड़क चूचियां मेरी छाती में गड़ रही थी और मैं नीलम को जोर से पकड़ कर दबाने लगा। मैंने नीलम का एक हाथ पकड़ के अपने लंड पर रखा और कहा- जानी, जरा इसको भी खुश कर दो। नीलम ने पहली बार बड़े प्यार से मेरे लंड को पकड़ा और लंड से ऐसे खेलने लगी जैसे कोई छोटा बच्चा किसी खिलौने से खेल रहा हो। ऐसे हम दोनों एक दूसरे को व्हिस्की पिलाते रहे और मैं उसकी चूचियों को हाथों से, मुँह से मसलता रहा। जब उसकी चूत में उंगली डाली तो लगा उसकी चूत काफी गीली हो गई है। मैंने उंगली से उसकी चूत का रस बाहर निकल कर व्हिस्की के ग्लास में उंगली हिला कर मिला दिया, फिर उस व्हिस्की का टेस्ट ! वाह वाह ! मज़ा आ गया। मैंने नीलम की चूत में फिर उंगली डाल कर रस निकाला और राजू को अपनी उंगली चटाई- ले भड़वे ! चाट अपनी बीबी की चूत का रस ! और मैंने भी नीलम की चूत का रस चाटा। नीलम चूत के रस का स्वाद बड़ा मज़ेदार था।मैंने नीलम को गोद में आमने-सामने बैठने को कहा। वो मेरे ऊपर बैठी, अपनी टांगे मेरी गांड के पीछे करके मुझे कस के भींच कर बैठ गई। मैंने नीलम की चूत में लंड घुसेड़ दिया लेकिन लंड थोड़ा सा अन्दर जाते ही नीलम बोली- बस करो ! और मत डालो ! मेरी चूत फट जाएगी ! अब नीलम काफी नशे में थी और खुल कर बोलने लगी थी। मैंने उसे चूमना चालू किया और धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को अन्दर घुसेड़ता रहा- मेरी रानी, डरो नहीं और मुझे प्यार करती रहोगी तो दर्द भी नहीं होगा। मैं तो आज पूरा लंड ही घुसेड़ूंगा। अगर तुम प्यार करती रहोगी तो तुम्हें दर्द के बदले मज़ा मिलेगा। मर्ज़ी तुम्हारी है तुम्हे क्या चाहिए। फिर नीलम ने राजू की शर्म छोड़ दी और मुझे कस के प्यार करने लगी और मैंने अपना पूरा दस इंच का मोटा लंड नीलम की चूत में डाल दिया। उसकी चूत राजू के छोटे पतले लंड से चुदी होने के कारण एक दम कड़क थी। कसम से ऐसा लग रहा था मैं उसकी सील तोड़ रहा हूँ। ऐसी चूत तो जिंदगी में अपनी बीवी के बाद किसी और की पहली बार चोदने को मिली। मैं नीचे था और नीलम मेरे ऊपर, मैंने उसके होंठ अपने होंठों में दबा रखे थे और उसको कहा कि जोर जोर से धक्के लगा कर चोदे।
दस मिनट तक चोदने के बाद नीलम थक कर रुक गई। मैंने उसको अपनी गोदी में कस के पकड़ लिया और दोनों खड़े हो गए जिससे लंड चूत से बाहर ना आ जाये और फिर नीलम को सोफे पर लिटा कर में उसके ऊपर चढ़ गया और लगा धक्के मारने। अब नीलम पूरी मस्ती में थी- अशोक जी चोद दो मुझे !खूब चोद दो। आज आपके लंड से अलग ही मज़ा आ रहा है। राजू देख तेरी चूत आज फट कर भोसड़ा बन गई है। आजा तू भी पास में आजा, अपना लंड मेरे मुँह में दे दे। राजू ने अपना लंड नीलम के मुँह में दिया और वो उसे प्यार से चाटने लगी। मैं उसकी चूत में जोर जोर से धक्के मार रहा था- क्यूँ हरामी की औलादो ! करी है कभी ऐसी चुदाई? मादरचोदो, अकले चोदने से ज्यादा मज़ा दो-दो लंड के साथ आता है।

रविवार, 11 मार्च 2012

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मेरी नयी पोस्टिंग एक गांव मे अध्यापक के रूप में हुयी थी। मैं वैसे देखने मे 6 फ़ुट का साधारण युवक था। पर दोस्त कहते थे कि मुझमे
असाधारण सेक्स अपील है। लडकिया मेरी तरफ़ जल्दी ही आकर्षित हो जाया करती थी। मेरे बहुत सी लडकियो से शारिरिक सम्बन्ध भी थे। मैने चुदाई का कितनी ही बार आनन्द उठाया था। बहुत सी लडकिया चुदाई की अपेक्षा गान्ड मराने मे विश्वास रखती थी, उन्हे लगता था कि चुदाने से कही बच्चा ना ठहर जाये। मुझे स्कूल के पास ही एक रूम मिल गया था। मैं छठी कक्षा से लेकर बाहरवीं कक्षा तक गणित पढाता था। बाहरवी कक्षा की लडकियां बडी थी। ज्यादातर लडकियां गांव के स्टाईल की थी, चेहरे पर कठोरता और जंगलीपना, बातों मे अक्खडपन उनमे भरा था। पर उनमे से एक लडकी मीना मुझे शहर की रहने वाली प्रतीत हुई। उसका अन्दाज़ बताता था कि वो गांव की नही थी। बातचीत मे वो
तमीज वाली थी। शहर की लडकियो की तरह वो आधुनिक तौर तरीके वाली थी। अपने आप को वो सेक्सी भी बनाने की कोशिश करती थी। वो अपने आप को बहुत संवार कर आती थी। उसके स्तन भी दूसरो से उन्नत थे। चूतड़ भी कुछ भारी से थे। स्कूल ड्रेस की कमीज़ भी वो कुछ ऐसे पहनती थी कि उसका स्तन झांकने से दिख जाता था। उसकी ओर मैं जल्दी आकर्षित हो गया। उसकी अदाये मुझे भाने लगी थी। स्कूल के बाद वो मुझसे अकसर सवाल पूछने आ जाती थी और उसकी कमीज़ मे से अपने स्तनो का दर्शन जान करके कराती थी। शायद वो कुछ इशारे भी करती थी जो मेरी समझ के बाहर थे। उसके स्तन देख - देख कर मेरे शरीर मे सनसनी फ़ैल जाती थी। लौडा खडा होने लगता था। लगता था कि हिम्मत करके उसकी चूंचियां मसल डालू। बहुत समय निकल जाने के पश्चात मैने ही पहल करना उचित समझा। "मीना, तुम्हारी मेथ्स बहुत वीक है, तुम्हे ट्युशन की जरूरत है " मैने जान करके उसके ही मन की बात कर दी। वो तो जैसे तैयार ही थी, उसने तुरन्त
कहा "सर, मैं शाम को ही बता दूंगी… आप शाम को मम्मी से मिल लेना" उसकी रजामन्दी शायद मैं जानता था। "ठीक है, मै शाम को आउंगा, मम्मी से कह देना" उत्साहित हो कर मैने कहा। शाम का समय बडा ही मनमोहक हो रहा था। गांव की ठन्डी हवा मेरे मन को बहुत
भाती थी। मैं टहलता हुआ मीना के घर पहुंच गया। शाम को मीना और उसकी मम्मी दोनो ही मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। उसकी मम्मी को देखते ही मैं तो दंग रह गया। सुन्दर, गोरी, लम्बी और गजब का फ़िगर…बला की खूबसूरत, चेहरे पर मधुर मुस्कान, मैं देखता ही रह गया। मेरी तन्द्रा उसकी मम्मी ने तोडी. "कहां खो गये विजय बाबू… आईये ना…" "जी… जी हां, धन्यवाद…" कह कर मैं अन्दर आ गया। बातचीत का सिलसिला चला तो पता चला कि उसके पति कनिष्ठ अभियन्ता थे और अधिकतर यात्रा पर रहते थे। वो लोग जयपुर के रहने वाले थे। नहर परियोजना मे कार्य करते थे। मुझे मीना को पढाने के लिये शाम का समय निर्धारित कर दिया था। मीना टेबल पर कुछ इस अन्दाज़ से बैठती थी कि उसके छोटे छोटे गोल स्तन बडे नीबू के साईज़ के साफ़ दिखते थे। कभी कभी तो मै उनको देखते हुए इतना खो जाता था कि मीना मेरी इस हरकत को मजे लेते हुए दिलचस्पी से देखती रहती थी। अब मै मीना के स्तन रोज़ ही भली प्रकार से देख सकता था। घर पर तो अब वो भी मुझे पूरा मौका देती थी अपनी चूंचिया के दर्शन के लिये। मैं उसे सवाल समझाने के बहाने उसके पास जाकर लिखता था और कभी कभी उसके स्तनो को छू लेता था। वो भी जान करके मेरी बाहो पर अपने स्तन दबा देती थी। एक दिन मुझे मौका मिल गया…आग तो दोनो ओर बराबर थी बस मौका नही मिला था। शाम को उसकी मम्मी किसी से मिलने चली गयी थी…और आज वो अकेली थी। वो भी चाह रही थी कि आज तो कुछ ना कुछ तो छेडछाड हो, और मै भी कुछ करने को उतावला था। उसकी आंखे मुझे बार बार निमंत्रण दे रही थी। उसके शरीर की हर अदा मे आज
सेक्स उभर कर नजर आ रहा था। लग रहा था कि आज लोहा गरम है। टेबल पर पढाते समय मैने जानके उसके हाथ पर हाथ रख दिया। उसने एकबारगी मुझे कनखियो से निहारा, फिर वैसे ही बैठी आगे होने वाली हरकत का इन्तज़ार करने लगी। मेरी हिम्मत और बढी और उसका हाथ दबा दिया। उसका जवाब तुरन्त मिला और मेरे हाथ को उसने पकड लिया। मुझे उसने सीधी नजरों से निहारा और घूरती रही। मेरी नजरे भी उसकी नजरों से मिल गयी। एक बार तो हम एक दूसरे की आंखो मे खो गये। "मीना, तुम खूबसूरत हो?" एकाएक ठन्डी हवा का झोंका आया, उसके बाल लहरा उठे, उसके सुन्दर मुखडे पर मुस्कराहट तैर गयी। वह और सेक्सी लगने लगी "ना, सर जी, मेरी मां को कभी ध्यान से देखा है…खूबसूरती उसे कहते है" उसने अपनी मां की तारीफ़ की। "हां, उनकी बराबरी तो कोई नही कर सकता है…तुमने भी तो खूबसूरती मां से
ही तो पायी है" "सर, ऐसा मत कहो, मैं बहुत कमजोर मन की हू, मुझे कुछ हो जायेगा…" उसकी आंखे झुकने लगी। मैने उसका हाथ अपनी ओर खींचा। उसकी बडी बडी आंखे एक बार फिर मेरी ओर उठ गयी। "मीना, प्लीज, आज अपने आप को मत रोको…कितने दिन से मेरी नजर तुम्हारे इन नीबुओ पर है… बस एक बार इन्हे छू लेने दो…" "हाय्…सर जी…नहीं अभी नहीं…फिर कभी…अभी तो कच्चे है ना…" मेरा हाथ
छुडा कर वो खडी हो गयी और उसने अपना सुन्दर मुख अपने दोनो हाथो से छुपा लिया। मेरा लण्ड कठोर होने लगा था। मुझमे वासना हिलोरे मारने लगी थी। मैं भी खडा हो गया और उसके पीछे जाकर उसकी कमर मे हाथ डाल कर कस लिया। अपना लण्ड उसके चूतडो पर गडा दिया। उसने भी अपनी चूतडो का जोर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसका स्कर्ट लण्ड के साथ उसकी चूतडो की दरारो मे घुस पडा। मैने अपने हाथ उसके उरोजो पर रख दिये। नीबू अधपके थे, कडे थे पर नरमायी लिये हुए थे। "सर जी…" "नहीं विजय कहो…" "विजय्…बस हो गया…अब मन मचल उठेगा… फिर सब कुछ आपे से बाहर हो जायेगा…प्लीज छोड दो ना" "मीना कुछ करेंगे नही…बस ऊपर ही ऊपर से आनन्द लेंगे…" मैने उसे बहलाते हुए कहा "तो फिर हट जाओ…नीचे तो देखो …पूरा अन्दर घुसा रखा है…पूरा आनन्द नही देना है तो फिर ये सब क्यू कर रहे हो" वो तडप सी उठी…और पलट कर मेरा खडा लण्ड पकड लिया। "अरे मीना, ये क्या किया…मै तो मर गया…अब तुझे कौन बचायेगा…" "बचना किसको है…इतना मोटा है कि मस्त कर देगा…" उसकी आवाज नशीली हो उठी। "मसल दे इसे…दबा दे…मजा आ रहा है…।" "चलो फिर बाथरूम मे…जल्दी से आ जाओ…" लण्ड का साईज़ देखते ही वो मचल उठी। मेरा हाथ खींचते हुए मुझे बाथरूम मे ले आयी। "सुनो…अगाडी को छोडो…पिछाडी मार दो…" मीना ने मुझे समझाया "अरे आनन्द तो अगाडी मे है…" " अब बस, चुप्…।" उसने अपनी स्कर्ट ऊंची की और पेण्टी उतार दी। थोडी सी झुक कर घोडी बनते हुए अपने चूतडो को मेरी तरफ़ उभार दिये। उसके खूबसूरत से
गोरे गोरे चमकदार चूतड, सामने आ गये। " अरे उतारो ना अपनी पेण्ट…निकालो बाहर…थोडी हवा तो खिलाओ उसे…" उसकी व्याकुलता मैं समझ रहा था। मैने अपनी पेण्ट और अंडरवीअर नीचे सरका दी और मेरा मदमस्त लौडा बाहर निकल कर झूम उठा। मीना लण्ड को देखते ही नशे मे मस्त हो गयी। "अब इसे मेरी कोमल ग़ान्ड मे…जल्दी कर यार…" उसका उतावलापन देखते ही बनता था. मैने पास मे पडी तेल की शीशी से तेल लेकर उसकी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। "अब नाटक ही करते रहोगे या…हाय रे…तुम बडे खराब हो" मैं उसकी बातों से
बहुत उत्तेजित हो उठा था। मैने उसकी चिकनी गाण्ड के छेद मे अपना लण्ड रखकर दबा दिया। लण्ड फ़च से गाण्ड मे उतर गया। उसे जरा भी दर्द नही हुआ बल्कि एक मधुर सी सीत्कार निकली। “आह्…घुसेड दे रे पूरा…मस्त कर दे मेरी गाण्ड को...” उसकी आह ने मुझे भी आनन्दित कर दिया। उसके चूतडो को दबाते हुए जोर लगा कर अपना लण्ड उसकी गहराईयो मे उतारने लगा। उसने भी चूतडो को हिलाते हुए लौडा पूरा भीतर समेट लिया। “साला मस्त लण्ड है विजय…लंबा भी है और मोटा भी…मस्त गाण्ड की पिलाई करेगा” अब मैने हौले हौले से धक्का मारना शुरू कर दिया। उसकी गाण्ड बेहद नरम थी और लौडा लेने मे अनुभवी थी। मीना की गाण्ड लगता था बहुत बार चुद चुकी थी। गाण्ड मराने की वो अभ्यस्त थी, उसे दर्द के बजाये गुदगुदी हो रही थी और चूतडो को एक विशेष लय मे हिला हिला कर मरवा रही थी। मुझे भी औरो की अपेक्षा अधिक मजा आ रहा था। मेरा लण्ड मस्ती मे और फूला जा रहा था। उसकी सिसकारिया भी अब अधिक निकल रही थी। अपनी गाण्ड को आगे पीछे हिलाते हुए गाण्ड को मारने लगा। कुछ देर गाण्ड चोदने के बाद अचानक मैने कुछ सोचा और उसकी गाण्ड मे से लण्ड निकाल कर उसकी चूत मे डाल दिया। उसे तेज मजा आया…“आह्ह्ह रे मर गयी…ये क्या किया विजय्…इतना मजा…जल्दी कर और घुसा दे...” उसकी चूत का मजा कुछ ओर ही था…मेरा लण्ड और कडक हो गया और मस्ती मे भर गया। “ घुसा दे भीतर तक घुसेड दे रे…हाय रे…मेरी मां…चोद दे रे...” उसकी बैचेनी बढती जा रही थी। मैने भी अवसर का फ़ायदा उठाया। उसे भी चुदना सुहाना लग रहा था। उसे चूत चुदवाने मे असीम आनन्द आ रहा था। मेरी कमर तेजी से चलने लगी। वो चुदने लगी और मुख से सीत्कारे निकलने लगी… “हाय राम जी…कस कर चोद दे... मैया री…दे लण्ड्…जरा दबा के चोद दे रे…” मेरा लण्ड किसी इन्जन के पिस्टन की भांती सटासट चलने लगा। उसने पीछे हाथ बढा कर मेरे चूतड पकड लिये और जोर से खींचने लगी। “मरी रे…हाय मां…मेरी तो निकल रही है…ऊईईई…चोद…आह रे…गयी रे…” और उसके शरीर ने यौवन रस छोड दिया। लण्ड चूत मे ढीला पड गया। चूत पानी से भर गयी। फ़च फ़च की आवाजे आने लगी। “हाय रे विजय्…मम्मी को भी ऐसे ही चोद देना…” मैने उसकी बातो को मजाक मे लेते हुए लण्ड बाहर निकाला और एक बार फिर गाण्ड मे पेल दिया। “मम्मी को…मुझे घर से बाहर निकाल देगी…” मैने लण्ड गाण्ड मे अन्दर बाहर करते हुए कहा। “सच मे विजय…आपका लण्ड दमदार है…मम्मी मस्त हो जायेगी, देखो प्यार से चोदना मेरी मां को…वो बहुत अच्छी है…” “अब चुप हो जा मीना…मुझे चोदने दे” मैने अपना चोदने मे ध्यान केन्द्रित किया और गाण्ड मारने लगा। गाण्ड की दीवारो से घर्षण करता हुआ मेरा लण्ड बेहाल हो रहा था। मीना के नीबुओ को मसल मसल कर लाल कर दिये थे। वो जोर जोर से सिसकारिया भर रही थी, इससे मेरी उत्तेजना बढ रही थी। अचानक मुझे लगा कि बस…सारा वीर्य लण्ड मे सिमटता सा लगा। मीना ने झटके से मेरा लौडा बाहर खींच लिया और मुह मे भर लिया और अपना मुख चोदने लगी। मेरे लण्ड को दबा कर घुमा घुमा कर निचोडने लगी और लण्ड के हाल को निहारने लगी और तभी मेरा यौवन रस भी उबल पडा…और फ़ुहारे मारता हुआ उसके चेहरे पर आ गिरा…उसका मुख पूरा खुल गया और सारा वीर्य उसके मुह मे लबालब भर गया। उसने अपना मुह एक तरफ़ करके मुह से एक पिचकारी निकाल कर एक तरफ़ सारा वीर्य उगल दिया। और फिर से लौडे को चूसने लगी। सब कुछ अब शान्त था। हमने हाथ मुह धो कर अपने कपडे व्यवस्थित किये और फिर से टेबल पर आकर बैठ गये। “हा…मम्मी वाली क्या बात बता रही थी मीना…” “देखो बुरा मत मानना प्लीज़…” “ कहो तो…बुरा नही मानूंगा” “चुदना तो मम्मी को था…पर मन नही माना…इसलिये पहले मैने चुदा लिया” “क्या ?” “हा, जब मम्मी ने आपको स्कूल मे देखा था तो वो आप पर लट्टू हो गयी थी…आप पर फ़िसल गयी थी, मुझे कहा था कि सर जी को पटाओ” “फिर्…” “आप तो निकले फ़िसल पट्टू, मेरी चूंचियो पर ही मर मिटे, आपका लण्ड खडा होते देख कर मै समझ गयी थी कि बस मम्मी का काम हो गया।“ “चल हट…ऐसा भी क्या?” “क्यू ! मम्मी को देखते ही तुम्हारे मुह मे पानी नही आ गया था, फिर मम्मी के पास भी तो एक प्यारी सी चूत है“ मेरे मन की बात मीना कहे जा रही थी। तभी टेबल पर चाय नाश्ता आ गया। मैं बुरी तरह से चौंक पडा। “अरे आप कब आयी?” “तब जब तुम दोनो बाथरूम मे थे…” “जी !!! “ मैं लगभग घबरा गया। “जी हा… आपका उस समय पूरा अन्दर था” उसकी मम्मी ने हंसते हुए कहा “जी सॉरी…गलती इसकी नही…मेरी थी…ऑण्टी” “ऑण्टी नही सरोज्…पर बात जब पिछाडी की थी तो तुमने अगाडी क्यू काम मे लिया, अगर कुछ हो जाता तो…” उन्होने सब कुछ देख लिया था…यानी पूरी चुदाई…मेरी नजरे जमीन मे गडी जा रही थी। मुझे लगा सरोज अब मुझे लिफ़्ट नही देगी। “ मम्मी अब बस करो ना…देखो ना विजय को कितना खराब लग रहा है” मीना ने विरोध किया। सरोज ने मीना को आंख मार दी। मीना समझ गयी। “अच्छा विजय, अब उठो और मां को एक चुम्मा दे दो…और सब भूल जाओ” मैने सरोज की ओर देखा। उसकी नजरो मे प्यार था, एक निमन्त्रण था। मैं धीरे से उठा और सरोज की तरफ़ बढ गया।

शुक्रवार, 9 मार्च 2012