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रविवार, 18 नवंबर 2012

रेलगाड़ी में मल्लू प्रेमिका की आहोश में खोया


आज मैं आपको रेलगाड़ी में मल्लू प्रेमिका की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ | दोस्तों हुआ यूँ की मैं किसी काम से बहार गया हुआ था और जब आया तो मेरी प्रेमिका ने बताया की उसके पापा मुझसे बात करना चाहते हैं जिस पर मैंने उसके कहे दिया की हम अगले दिन की रेलगाड़ी से उसके पापा से भी मिलने चलेंगे | हम जल्द – बाज़ी में अपने घर से निकले और अपनी रेलगाड़ी में बैठ सफर पर भी निकल पड़े | दोस्तों मैंने काफी समय से अपनी प्रेमिका के साथ चुदाई वाला खेल नहीं खेल था और वहाँ उसके घर जाकर तो चाहकर भी मैं नहीं कर सकता था | मेरा दिमाक में तभी रोमांटिक विचार चलने लगे और मैं उसे मीठी – मीठी बातें कर पटाने लगा| हम रात को सोने का बाद उप्पर ही सीट पर सो गए जिस पर मैं उसे कुक हरकतें करते हुए उकसाने लग जिस पर वो भी उत्तेजित होकर मेरे होंठों के रस को चूसने लगी और मैं उसके चुचों को भींचे जा रहा था | हमने वहाँ सोते वक्त हलके फुले कपड़े पहने हुए थे इसीलिए चादर के अंदर हमें नागे होने वक्त नहीं लगा और अब मैं उसके नंगे बदन को मसलते हुए उसे चूम रहा था| मैंने उसके मीठे–मीठे चुचों को मसलते हुए चूसने लगा| मेरी वासना मेरे सर पर चडी तो मैंने उसकी चुत पर पहले ऊँगली फिराई और फिर उसमें ऊँगली देकर सूंघने लगा और उसकी चुत की चरबी को चाटने भी लगा| मैंने अब अपने लंड को उठाकर उसकी चुत पर रख दिया उसकी दोनों टांगों को खोलते हुए लंड को वहीं रगड़ने लगा जिस पर वो लंड को अपनी चुत में पूरी तरह समाने के लिए तडपने लगी और मैंने एक दम से अपने लंड के झटकों से उसकी चुत को चोदने लग गया | वो अब हलके–हलके सिसकियाँ ले रही थी पर मैं बिना कुछ सुने उसकी टांगो को खोल चोदे जा रहा जैसे अपने लंड को पार कर मैं उसकी चुत को फाड देना चाहता था | मैं कुत्ते की तरह उसकी चुत अपर चड हुए इतनी तेज़ी से चोदे रहा था उसकी चुत का पानी भी निकल पड़ा जिस पर अब मुझे फिर से दूसरी पारी के लिए होश बंधाते हुए उसकी चुत ऊँगली बाज़ी करनी पड़ी | अब जब सब कुछ फिर गरमाने लगा तो मैंने अपने लंड को उसकी मल्लू चुत को मसलते हुए देना शुरू कर दिया और इस बार मैंने उसे उलटे ही लिटाये रखा था जिस पर उसकी सिसकियाँ बहार–गलती से भी नहीं पहुँच सकती थी| हम पूरी रात पर चुदाई करते रहे और मैं हिलती हुई रेलगाड़ी में अपने लंड को इसी तरह तेज़ी से हिलाते हुए झड भी गया| मेरे झड़ने पर मुझे नींद आने लगी जिस पर मेरी प्रेमिका ने मुझे मस्त वाले चुम्मे दिए और हमने फ़ौरन कपड़े पहन लिए| उसके बाद ही मैंने अपने सर को अपनी प्रेमिका की गौद में रखा और उसके चुचों को हलके–हलके दबाते हुए सो गया और अंत में हम सही–सलामत पहुँच भी गये| 

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