लोकप्रिय पोस्ट

सोमवार, 6 अगस्त 2012

आज मर जाऊँगी

नमस्कार दोस्तो ! कैसे हो आप? मैने अन्तर्वासना की हर कहानी पढ़ रखी है! आज मैं भी अपना अनुभव लिख रहा हूँ, मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी चाची और मेरी है। पहले मैं अपने और चाची के बारे में बताना चाहूँगा, मेरा नाम सुशान्त हैं. कानपुर का रहने वाला हूँ, अभी उच्च अध्ययन कर रहा हूँ। कॉलेज में मैं बहुत सी लड़कियों को चोद चुका हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, कद 5 फीट 9 इंच है, अच्छा खासा व्यक्तित्व है, मेरा लंड 7.5 इंच लम्बा है और बहुत मोटा है। मेरी चाची की उम्र 31 साल हैं...चाची का नाम अनीता है, उनकी ऊँचाई 5 फीट 5 इंच है, वक्ष का आकार लगभग 38-29-38 है. रंग गेहुँआ है, जब वह मटक-मटक कर चलती है तो लम्बे घने बाल उनकी गांड तक आते हैं, सबको वो पागल कर देती है। अच्छा, अब मैं कहानी पर आता हूँ। हमारे घर में कुल 10 लोग रहते हैं, गर्मी की वजह से मैं, मेरे चाचा, मेरी चाची और एक दूसरी चाची की बेटी छत पर सोते थे, बाकी सब लोग नीचे सोते थे। एक रात मैंने चाची की सिसकारियों की आवाज़ सुनी तो मैं जाग गया। चाची सिसकारियाँ भर रही थी। मैं समझ गया की चाचा-चाची को चोद रहे हैं। मैं हल्के से अपने मुँह के ऊपर से चादर उठा कर देखने लगा। चाचा-चाची की चूत चाट रहे थे, चाची पूरी नंगी थी! उनके वो रेशमी बाल जो मुझे हमेशा पागल कर देते हैं, वो खुले हुए थे। चाची बुरी तरह सिसकार रही थी। मैं तो वैसे ही गर्म हुए जा रहा था। फिर शायद चाचा ने चाची की चूत में काटा तो चाची चिल्ला दी! जल्दी से चाचा ने अपना हाथ उनके मुँह पर रख दिया और बोले- चिल्ला क्यों रही हो? बच्चे जाग जाएँगे! चाची बोली- ऐसे करोगे तो चिल्लाऊँगी ही! तो चाचा बोले- अच्छा, आराम से करता हूँ! और फिर चाची की चूत चाटने लगे। चाची फिर से सिसकारियाँ भरने लगी- आआह्ह्ह्ह्ह् य्य्य्याआ! क्या कर रहे हो! फाड़ दोगे क्या! मैं कही भागी नहीं जा रही हूँ! हाआअ आआआह्ह्ह्ह! फिर चाचा ऊपर आ गए और चाची को बोले- ले अब मुँह खोल...और चूस इसे! चाचा का लण्ड चाची के मुँह में था और वो उसे मज़े से चूस रही थी, आवाज़ निकल रही थी- पिपिच्चच पिच्च्च्चक पिच्च्च्चच्च्च्क! फिर चाची बोली- आज तुम्हारा निकल रहा है! तो चाचा बोले-पी जा उसे! चाची ने सारा का सारा मुठ पी लिया! फिर चाची ऊपर आई और चाचा के ऊपर लेट कर उनके होटों को कस के चूसने लगी! कम से कम दस मिनट तक चूमा- चाटी का कार्यक्रम चला। इधर मेरे लण्ड की बुरी हालत हो रही थी। अगर मैं हिलता तो उन्हें पता लग जाता की मैं जगा हुआ हूँ। मैं शांति से देखने लगा, तो देखा की चाची फिर से नीचे आ गई और चाचा धीरे से अपना लण्ड चाची की चूत में घुसा रहे थे! देखते देखते चाचा का लंड गायब हो गया। फिर चाचा ने झटके लगाना शुरू किये, नीचे से चाची चूतड़ उठा-उठा कर साथ दे रही थी! फिर से चाची की आवाज़े निकलना शुरू हो गई-धीईरे....... धीईर्र......! बीस मिनट की जम के चुदाई के बाद चाचा शांत पड़ गए,मैं समझ गया की चाचा झड़ गए! फिर कुछ देर बाद चाचा-चाची के ऊपर से हटे और दोनों ने कपड़े पहने और सो गए! पर मैं तो रात भर सोचता रहा चाची के बारे में! मैंने भी ठानी की एक बार तो चाची की चूत जरुर मारूँगा! अब तो रोज़ मैं चाची का कार्यक्रम देखता! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ! एक दिन चाची के कमरे में गया तो वहा कोई नहीं था, बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी, चाची बाथरूम मैं नहा रही थी! मैंने सोचा की क्यों न चाची को नहाते देख लू! मैं बगल वाले संडास में नल पर पैर रख कर देखने लगा! क्या नज़ारा था! चाची के वो लम्बे खुले बाल! चूचों पर बहता पानी! वो अपनी झांटों को साफ़ कर रही थी! एकदम से मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गया! चाची चिल्लाई-कौन है? जब तक वह बाहर आकर देखती, मैं धीरे से वहाँ से भाग लिया! उन्होंने शायद मुझे पहचान लिया था, चाची का मेरी तरफ बात करने का ढंग कुछ बदल गया था! पर मुझे तो हर रोज़ रात को मुफ्त का प्रोग्राम देखने को मिलता था! मेरे एक और चाचा थे वो दिल्ली में रहते थे! अचानक वे बीमार पड़ गए! तो चाचा और मेरे पिताजी को दिल्ली जाना पड़ा! एक दो दिन बाद पिताजी तो आ गए पर चाचा को वहीं एक महीने रुकना पड़ेगा! क्योकि दिल्ली वाले चाचाजी अकेले रहते थे! यह सुनते ही जैसे चाची की तो जान ही निकल गई! अब छत पर सिर्फ मैं और चाची सोते थे! कुछ दिनों तक तो कुछ नहीं हुआ! पर चाची की चुदास बढ़ती जा रही थी! बिना चुदाई के वह रात में सो नहीं पाती थी, हमेशा करवट बदलती दिखती थी, कई बार तो मैंने देखा की चाची अपनी चूत रगड़ रही हैं। फिर मैंने बड़ी हिम्मत की कि कुछ भी हो जाए, अब तो चाची को चोदना है। अगले दिन फिर से चाची आई और अपने बिस्तर पर सोने लगी। मैं सोने का नाटक कर रहा था। मैंने देखा की चाची करवटें बदल रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी। फिर जो हुआ मैं देख कर घबरा गया! चाची का हाथ अंदर-बाहर जैसे हिल रहा था! मैं समझ गया की चाची के हाथ में कुछ है! रात के अँधेरे की वजह से दिख नहीं पाया कि क्या था! फिर चाची की सिसकारियाँ शुरू हो गई और थोड़ी देर में वह शांत होकर सो गई! मैं उस दिन भी कुछ नहीं कर पाया, फिर थोड़ी देर में मैं भी सो गया। अगली रात को मैं तैयार था...आज तो बोल के रहूँगा! मैंने जल्दी से छत पर जाकर अपना बिस्तर लगा दिया और सोने का नाटक करने लगा। करीब 11 बजे चाची आई और अपने बिस्तर पर सोने लगी। मैं जाग रहा था पर सोने का नाटक कर रहा था। फिर थोड़ी देर में चाची का वही रगड़ना चालू हुआ और फिर हाथ अंदर बाहर हिलना! मैं हिम्मत करके धीरे से बोला- क्या मैं कुछ मदद कर सकता हूँ? चाची घबरा गई, जल्दी से अपनी साड़ी ठीक करने लगी और मेरी तरफ देख कर बोली- क्या तुम जाग रहे हो? तो मैं बोला- नहीं, नींद में बड़बड़ा रहा हूँ! तो चाची समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ! आज चाची से भी न रहा जा रहा था तो उन्होंने पूछ लिया- उस दिन तुमने ही मुझे नहाते देखा था न? मैंने धीरे से हाँ बोला! तो चाची मेरे पास आई और बोली- चल आज मैं तेरे साथ तेरे बिस्तर पर सोऊँगी! फिर चाची मेरे से सट कर लेट गई और बोली- बेटा, तेरे चाचा नहीं है तो मुझे नींद नहीं आ रही है, क्या करूँ? मैं बोला- चाचा नहीं है तो क्या हुआ, मैं तो हूँ। तो बोली- तू क्या कर सकता है? मैं बोला- जो चाचा कर सकते हैं, वो मैं भी कर सकता हूँ, आजमा कर तो देखो! चाचा को छोड़ कर मेरे साथ सोने को तरसोगी! चाची जोश में आकर मेरे अंडरवीयर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और बोली- लगता है काफी तगड़ा है तेरा लण्ड! मैंने कहा- अभी तो बाहर से देखा है! अंदर लो तो मज़ा आएगा! तो बोली- अच्छा! फिर धीरे से अपना हाथ मेरे अंडरवीयर के अंदर डाल कर लण्ड को सहलाने लगी! फिर मैंने भी उनके शरीर को छूना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे मैं उनके मम्मे को दबाने लगा। फिर मैं चाची के ब्लाउज़ के हुक खोलने लगा, वह मेरे लण्ड के साथ खेलने में मस्त थी। मैंने उनके मम्मे को नंगा कर दिया और उससे खेलने लगा। एक हाथ उनके मम्मे पर और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के अंदर डालने की कोशिश करने लगा। मैं उनकी चूत रगड़ रहा था और एक मम्मे को मुँह में ले लिया और कस कर चूस रहा था। इतने में चाची की सिसकारियाँ शुरू हो गई! चाची अब बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने धीरे से चाची के सारे कपड़े उतार दिए और चाची ने मेरे सारे कपडे उतार दिए, हम दोनों पूरे नंगे थे। जैसे ही चाची ने मेरा लंड देखा तो बोली- तेरा लंड कितना बड़ा और मोटा है! मैं तो आज मर जाऊँगी!!! मैंने धीरे से पूछा- क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ? तो वो बोली- तेरी ही है, जो मन में आए, कर! मैंने धीरे से चाची की चुत को छुआ तो देखा की वो पहले से गीली है। मैंने धीरे से अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाई, उन्हें तो जैसे करंट लग गया हो! मैं उनकी चूत का स्वाद लेने लगा! फिर मैंने धीरे से उनके दाने को छेड़ दिया! वह कसमसा गई, बोली- जान लोगे क्या! और तेज-तेज सिसकारियाँ लेने लगी, उनकी सिसकारियों से मैं पागल हुए जा रहा था! मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा, उनकी सिसकारियाँ और तेज होती गई! फिर मैंने पूछा कि चाची क्या तुम मुझसे चुदवाओगी? तो वो बोली- जब तक तेरे चाचा नहीं आते तब तक चोदो, बाद में तुम मुझे होटल में ले जाकर चोद सकते हो! मैं फिर से चाची की चूत चाटने लगा और 2 मिनट के बाद चाची झड़ गई! फिर बोली-ला! मुझे तेरा लंड चूसना है! मैंने अपना लण्ड चाची के मुँह के पास रखा,चाची उसे चूसने लगी। मैं तो जैसे जन्नत में था! चाची को बहुत अच्छे से चूसना आता था, चाची कस-कस कर मेरे लंड को चूस रही थी। मैं उनके मम्मों को कस-कस कर दबा रहा था। बीच-बीच में उनके चुचूक भी नोच रहा था जिससे चाची को दर्द हो रहा था और वो मेरे लंड को काटने के जैसा करती!! मुझे बहुत मज़ा आ रहा था! 15 मिनट चूसने के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैं चाची से बोला-मेरा निकलने वाला है! तो चाची बोली-मेरे मुंह में ही निकाल दे! मैंने चाची के मुँह में अपना पूरा पानी छोड़ दिया! चाची ने मस्त होकर पूरा लण्ड साफ कर दिया! मेरा लण्ड थोड़ा ढीला हो गया तो वो उसे चूसती रही जिससे फिर कुछ देर में वह खड़ा हो गया। हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे! अब चाची से सबर नहीं हो रहा थ, दोनों पागल हो चुके थे। मैंने चाची को नीचे लिटाया और खुद उनके ऊपर आ गया, अपने लंड को उनकी चूत में सटाया और हल्का से झटका मारा तो मेरा आधा लंड अंदर गया और चाची चिल्ला उठी-आआईईईईऐऐअ मर गाईईईई आआआअ! मैं कुछ देर के लिए रुका फिर अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया, उन्हें बहुत दर्द हो रहा था! मैं कुछ देर के लिए वैसे ही रुका रहा, मेरा लंड चाची की चूत में और मैं चाची के ऊपर उनके मम्मों को चूस रहा था। थोड़ी देर बाद चाची अपने चूतड़ हिलाने लगी तो मैं समझ गया की चाची को अब दर्द नहीं हो रहा है, मैंने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए, चाची को भी अच्छा लग रहा था! उनकी सिसकारियों ने मुझे पागल कर दिया! मैं उनको जम के चोद रहा था! करीबन 25-30 मिनट तक चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था, उतने में चाची दो बार झड़ चुकी थी। मैंने चाची को बताया तो बोली- अन्दर ही झाड़ दो! मेरी गति तेज़ होती गई, फिर मैं और चाची साथ में झड गए। मैं कुछ देर चाची के ऊपर लेटा रहा! ढीला लंड चाची की चूत में ही था और मैं चाची को खूब चूम रहा था, साथ में उनके मम्मे दबा रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा और हम दोनों ने कपड़े पहने और फिर दोनों बिस्तर जोड़ कर सो गए। फिर तो हर रात को हम यही करते! करीबन दो हफ्ते हमने खूब चुदाई की! फिर चाचा के आने की खबर मिली तो आखरी रात को मैंने चाची को तीन बार चोदा।फिर चाचा आ गए। उस रात चाचा ने जब चाची को चोदा तो चाची की सिसकारियाँ नहीं निकल रही थी और चाचा के लंड को आराम से सह रही थी! मैं भी वहीं लेटे-लेटे देख रहा था। फिर तो हमें जब मौका मिलता, हम शुरू हो जाते! कई बार तो मैंने चाची को होटल में ले जाकर चोदा! वह कहानी अगली बार लिखूंगा! आपके मेल्स का मुझे इंतज़ार रहेगा!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें